जनता का जनादेश
बिहार विधान सभा चुनाव 2010 का परिणाम यह बताता है कि यहां के मतदाता काफी परिपक्व हो चुके हैं। क्योंकि इस बार के चुनाव में जातिवाद,पूंजीवाद,क्षेत्रवाद यहां तक कि अमर-गरीब का फार्मूला भी नहीं चला। ना ही मतदाताओं ने किसी व्यक्ति विशेष को केंद्र में रखकर उनकी करिश्माई छवि पर वोट डाला।अगर ऐसा होता तो भाजपा व जदयू की सीटें नहीं बढ़ती व कांग्रेस,राजद का सफाया नहीं हो जाता। जनता ने पिछले पांच साल में हुए बदलाव को विकास में परिवर्तित करने के लिए वोट डाला। लोगबाग ने यह जनादेश नेताओं को सबक सिखाने के लिए दिया है कि अब केबल विकास ही मुद्दा है जो व्यक्ति के साथ-साथ सूबे को समृद्ध बना सकती है।
ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार की विकास योजना बगैर केंद्र के मदद की चली हो,या फिर उनकी विकास यात्रा का फार्मूला नया था। यह फार्मूला उन दिनों की है जब वे केंद्र में मंत्री थे और हरियाणा में बंशीलाल की सरकार हटनें के बाद ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व में सरकार बनी। उन्होंने ही सरकार आपके द्वार कार्यक्रम चलाया था जिसके तहत हर पंचायत में सरकार पहुंचती थी लोगों से मिले आवेदन का अवलोकन करने के बाद विकास से जुड़े पत्र कार्यवाही के लिए भेजे जाते थे।
नीतीश कुमार ने चाहे जो भी हो केंद्र के पैसे का प्रबंधन बेहतर ढंग से किया जिससे लोगों में बदलाव नजर आया। उसी बदलाव को अब जनता विकास के रूप में देखना चाहती है,और उन्होंने इस प्रकार का अप्रत्यााशित जनादेश दिया। अब आगे नीतीश जी पर निर्भर करता है कि उनकी सरकार विकास का मजबूत भवन बना उसमें रहना चाहती है या लालू प्रसाद के कुनबे की तरह नस्तनाबूत होना चाहती है।
बिहार विधान सभा चुनाव 2010 का परिणाम यह बताता है कि यहां के मतदाता काफी परिपक्व हो चुके हैं। क्योंकि इस बार के चुनाव में जातिवाद,पूंजीवाद,क्षेत्रवाद यहां तक कि अमर-गरीब का फार्मूला भी नहीं चला। ना ही मतदाताओं ने किसी व्यक्ति विशेष को केंद्र में रखकर उनकी करिश्माई छवि पर वोट डाला।अगर ऐसा होता तो भाजपा व जदयू की सीटें नहीं बढ़ती व कांग्रेस,राजद का सफाया नहीं हो जाता। जनता ने पिछले पांच साल में हुए बदलाव को विकास में परिवर्तित करने के लिए वोट डाला। लोगबाग ने यह जनादेश नेताओं को सबक सिखाने के लिए दिया है कि अब केबल विकास ही मुद्दा है जो व्यक्ति के साथ-साथ सूबे को समृद्ध बना सकती है।
ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार की विकास योजना बगैर केंद्र के मदद की चली हो,या फिर उनकी विकास यात्रा का फार्मूला नया था। यह फार्मूला उन दिनों की है जब वे केंद्र में मंत्री थे और हरियाणा में बंशीलाल की सरकार हटनें के बाद ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व में सरकार बनी। उन्होंने ही सरकार आपके द्वार कार्यक्रम चलाया था जिसके तहत हर पंचायत में सरकार पहुंचती थी लोगों से मिले आवेदन का अवलोकन करने के बाद विकास से जुड़े पत्र कार्यवाही के लिए भेजे जाते थे।
नीतीश कुमार ने चाहे जो भी हो केंद्र के पैसे का प्रबंधन बेहतर ढंग से किया जिससे लोगों में बदलाव नजर आया। उसी बदलाव को अब जनता विकास के रूप में देखना चाहती है,और उन्होंने इस प्रकार का अप्रत्यााशित जनादेश दिया। अब आगे नीतीश जी पर निर्भर करता है कि उनकी सरकार विकास का मजबूत भवन बना उसमें रहना चाहती है या लालू प्रसाद के कुनबे की तरह नस्तनाबूत होना चाहती है।
No comments:
Post a Comment