Saturday, September 7, 2013

जब मस्तिष्‍क में भटकाव आएगा तो दुष्‍कर्म जैसी घटनाएं होंगी

धर्म के नाम पर ढ़ोंग देखिए जब मस्तिष्‍क में भटकाव आएगा तो दुष्‍कर्म जैसी घटनाएं होंगी। इसके लिए कोई कौम जिम्‍मेदार नहीं है। सतानत संस्‍कृति में अष्‍टांगिक मार्ग के बारे में बताया गया है--यम,नियम,आसन,प्राणायाम,प्रत्‍याहार,योग,ध्‍यान और समाधि। इस पर गौर करे तो कहीं भी भौतिकवादिता का लेसमात्र भी नहीं मिलेगा। अगर संत हैं तो खुख,सुविधा क्‍यों। संतों की आभा ही झलकती है। ऐसे में हम ही मुर्ख हैं कि उनके बहकाबे में आकर सर्वस्‍व लुटा बैठते है। अब इन बाबाओं,मुल्‍लाओं व पादरियों के कारनामें दुनियां में उजागर हो चुके है। जम्‍मू-कश्‍मीर के बडगाम जिले के खानसाहिब में स्थित धार्मिक केंद्र में सेक्‍स करके लड़कियों का शुद्धिकरण करने वाले कश्‍मीरी मौलवी को गिरफ्तार किया गया है। इस केंद्र में धर्म से जुड़ी शिक्षा दी जाती है, वो भी सिर्फ लड़कियों को। 500 लड़कियों से भरे इस संस्‍थान में धर्म की आड़ में हवस का खेल पिछले करीब 4 साल से चलता रहा। असल में यहां का स्‍वयंभू बाबा सैय्यद गुलज़ार का जिस लड़की पर दिल आ जाता, वो उसे उच्‍च धार्मिक शिक्षा देने की बात करता और कहता, "उच्‍च कोटि की दीक्षा प्राप्‍त करने के लिये तुम्‍हें शुद्ध होना पड़ेगा।" जिस बाबा के प्रवचन हर रोज लाखों लोग टीवी चैनलों पर सुनते हों, जिनके अखबारों में विज्ञापन लगते हों और आये दिन शिविरों का आयोजन होते हों, उसके बहकावे में आना कितना आसान होगा, इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं। शुद्धिकरण के नाम पर वो बाबा लड़कियों को कमरे में अकेले बुलाता और उन्‍हें निर्वस्‍त्र करता और लंबे समय तक फोरसेक्‍स करने के बाद उनके साथ बलात्‍कार करता। यह सब होता था हुज़रा-ए-पाक यानी उसके पर्सनल चैम्‍बर में। खास बात यह है कि इस बात का पता उसके संस्‍थान में सिर्फ उसे और उसकी एक असिस्‍टेंट शकीला बानो को था। असल में जब भी कोई लड़की पढ़ने आती, तो शकीला बानो उस लड़की की काउंसिलिंग करती और कहती कि अगर तुम्‍हें ज्ञान का असीम भंडार प्राप्‍त करना है, तो पीर साहब की सेवा करनी होगी। यहां पर 'पीर साहब' वही सैय्यद गुलजार है। इस बाबा के रैकेट का खुलासा तब हुआ जब उसी के एक शिष्‍य इम्तियाज अहमद सोफी ने उसे एक शिष्‍या से यौन संबंध स्‍थापित करते देख लिया। उसने तुरंत पुलिस को सूचना। पुलिस ने संस्‍थान पर दबिश मारी और सैय्यद को गिरफ्तार कर लिया। बडगाम के एसपी उत्‍तमचंद के अनुसार गुलजार के दो साथियों की अभी तलाश की जा रही है। साथ ही पीड़ित लड़कियों से बयान रिकॉर्ड किये गये हैं और कुछ के बयान अभी रिकॉर्ड किये जाने हैं। वहीं आशाराम को भी इसी तरह के आरोप में गिरफ्‍तार कर लिया गया जबकि कुछ दिन पहले केरल में एक पादरी को भी गिरफ्‍तार किया गया। कुल मिलाकर देखा जाय तो साफ जाहिर है कि हर कौम में धर्म का चोला पहने ऐसे अनेक भेड़िये हैं जों भोली भाली जनता को पहले फंसाती है और बाद में उसका शारीरिक और मानसिक दोहन करती है।

Friday, August 30, 2013

8000 person in que for go to planet mars  Tue planet and for settling on the number of occupants is increasing rapidly . So far, more than 8,000 Indians have book your seat for Tue . " One Ó MARS project start-to- body human colony on Mars Tue to 2023 Forest intention is to settle down . Those who wish to go on Tue just have to register by visiting its website . So far 8107 has been the application . With this data , India has become the world's fourth largest country where the inhabitants would live forever on Tue . One project in March Dogra said Ashima enrollment of 37 852 applicants in the top 10 countries with the U.S. is at the forefront . Followed by China ( 13 124 ) , Brazil ( 8686 ) , India ( 8107 ) , Russia ( 7138 ) , UK ( 6999 ) , Mexico ( 6771 ) , Canada ( 6593 ) , Spain ( 3,621 ) and the Philippines ( 3516 ) is followed . The last date for registration is August 31 this year . Nearly 165,000 people have applied this thinking that it would be the first human being living on planet Tue . He has become quite famous in March forests mission . People from more than 140 countries are considering a life in another planet . First post on Tue mark and wanted to spend my life will encourage future generations .

Saturday, July 20, 2013

जीवन मे कैसे सफल हों

ऊँचे लक्ष्य को पाने के लिए ऊँची छलाँग नहीं लगाई जा सकती बल्कि छोटी-छोटी सीढ़ियाँ चढ़कर ही वहाँ पहुँचा जा सकता है। आप भी अपनी प्रतिभा को ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए इन छोटी-छोटी सीढ़ियों से रास्ता तय कीजिए। विद्वान कहते हैं, "पानी की छोटी-छोटी बूँदों और रेत के छोटे-छोटे कणों द्वारा ही विशाल सागर का निर्माण होता है। इसी तरह छोटे-छोटे मिनटों, भले ही वे प्रथम दृष्टि में महत्वहीन नजर आते हैं, द्वारा विशाल युगों का निर्माण निरंतर होता रहता है।" परंतु सरल से नजर आने वाले इस कथन की गहराई में बहुतेरे अधीर युवा जाना ही नहीं चाहते और इस तरह उनकी कई अभिरुचियाँ एवं नैसर्गिक क्षमताएँ फलने-फूलने के बजाय दिमाग के किसी कोने में सिमटकर रह जाती हैं। इसके विपरीत जो लोग अपने लक्ष्य से संबंधित छोटे-छोटे अवसरों को भी बारीकी से पहचानकर समर्पित भाव से अपनी संपूर्ण ऊर्जा, बुद्धि और विवेक उसमें लगा देते हैं, वे अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए छोटी-छोटी सीढि़यों का निर्माण निरंतर करते जाते हैं। इसी कतार में शामिल कोई न कोई सीढ़ी इनके भाग्योदय की भी वजह बन जाती है। एक बात हमेशा याद रखिए कि दक्षता, प्रयास, अभ्यास और प्रयोगशीलता का ही परिणाम है। जब आप तयशुदा लक्ष्य से संबद्ध योजना को अमलीजामा पहनाकर प्रयासों की लड़ी बनाते हैं, तब आपका हर प्रयास आपके दामन में अनुभव के कई बेशकीमती मोती छोड़ता जाता है और शनै: शनै: इनका खूबसूरत संयोजन आपके हुनर को निखारकर आपकी शख्सियत में चार चाँद लगा देता है। इसके विपरीत जब-जब आप अपने आलस्य, टालमटोल या खुद को कमतर आँकते हुए अवसरों की उपेक्षा कर बैठते हैं, तब-तब आप किस्मत की न जाने कितनी कुंजियों से वंचित रह जाते है। सफलता छोटे-छोटे प्रयासों से ही मिलकर बनती है। इसलिए चौकन्ने होकर अपने लक्ष्य से संबद्ध अवसरों की महीन पदचाप को सुनते रहिए और हर अवसर का मनोयोग से स्वागत कीजिए, क्योंकि छोटे-छोटे प्रयासों की ये लडि़याँ ही आपका पथ प्रशस्त कर आपको मंजिल तक पहुँचा देंगी।

Friday, July 19, 2013

पाकिस्तान में हिंदू युवतियां सबसे ज्यादा असुरक्षित इस्लामाबाद, आइएएनएस : पाकिस्तान में हिंदू युवतियां सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। अमेरिका की एक स्वतंत्र संस्था द्वारा तैयार की गई रपट के मुताबिक पाकिस्तान में हिंदू युवतियां दुष्कर्म की सबसे ज्यादा शिकार हो रही हैं। मुल्क में ईसाई, अहमदिया और शिया समुदायों की स्थिति भी बदतर है। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर गठित अमेरिकी आयोग की रपट के मुताबिक पाकिस्तान में पिछले 18 महीनों में हिंदू युवतियों के साथ दुष्कर्म की सात घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इसी दौरान हिंदू समुदाय पर हमले की 16 वारदातों में दो लोगों की मौत हो गई। अमेरिकी आयोग की रपट के मुताबिक इन 18 महीनों में सिख समुदाय पर भी तीन हिंसक हमले किए गए। इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई। यह रपट 'पाकिस्तान धार्मिक हिंसा प्रोजेक्टÓ के नाम से तैयार की गई है। हिंदू समुदाय के बाद सबसे ज्यादा ईसाई युवतियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं सामने आई हैं। निर्धारित अवधि में पांच ईसाई युवतियों के साथ दुष्कर्म किया गया। पिछले डेढ़ साल में इस समुदाय पर &7 हमले किए गए जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई और &6 घायल हो गए। रपट के मुताबिक पिछले 18 महीनों में विभिन्न सामुदायिक गुटों के बीच हिंसा की 20& घटनाएं हुईं, जिनमें 717 लोगों की मौत हो गई। मरने वालों में सबसे ज्यादा (6&5) शिया मुस्लिम थे। अब बताइए कि किस प्‍यार-मुहब्‍बत की बात करें पड़ोसी से जो इस तरह हमारे कौम की आबरू को लूट -खसोट रहा है।

Thursday, May 2, 2013

the death of sarabjit is diplomatic defeat

सरबजीत की मौत पर फूटा देश का गुस्सा सरबजीत को पाकिस्तान ने आखिर मौत की सजा दे ही दी। मानवीय आधार पर नरमी की अपीलों को दरकिनार कर पाक ने न तो उन्हें रिहा किया और न ही इलाज के लिए बाहर भेजने की जहमत उठाई। पाकिस्तान के इस रवैये पर भारत ने सख्ती दिखाते हुए इसे भारतीय नागरिक की हत्या करार दिया है। लाहौर की जेल में 26 अप्रैल को जानलेवा हमले के शिकार हुए सरबजीत की बुधवार देर रात जिन्ना अस्पताल में हुई मौत के बाद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि इस अपराध के दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए। भारत ने संकेत दे दिए हैं कि मौजूदा हालात में पाक के साथ बातचीत की प्रक्रिया लडख़ड़ा चुकी है। एयर इंडिया के विशेष विमान से सरबजीत के शव को भारत लाने के इंतजामों के साथ ही प्रधानमंत्री ने परिजनों को 25 लाख रुपये की सांत्वना राशि देने का भी एलान किया। वहीं सरबजीत की मौत की खबर सुनकर देश के कई घरों में मातम सा माहौल है। किसी की मां बीमार पड़ गई है तो किसी की पत्नी के आंखों से आंसू नहीं थम रहे। कुछ बेसुध हो गए हैं तो बहुत से लोग ईश्वर की आराधना में जुट गए हैं। ये ऐसे परिवार हैं जिनका कोई न कोई पाकिस्तान की जेलों में बंद और परिजनों को अब उनकी सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। जबकि इस मामले पर सरकार के स्तर पर नाराजगी जताई गई, तो संसद में भी सियासी दलों का गुस्सा फूटा। इस बीच, सरबजीत की मौत के बाद विदेश सचिव रंजन मथाई ने पाकिस्तानी समकक्ष जलील अब्बास जिलानी से भी घटनाक्रम पर बात की। सरबजीत के मेडिकल बुलेटिन पर भारत में भी लगातार निगरानी हो रही थी। लाहौर के जिन्ना अस्पताल में तैनात दो भारतीय राजनयिकों को सुबह व रात 10 बजे मिलने वाले मेडिकल बुलेटिन दिल्ली में भी चिकित्सकीय टीम के साथ साझा किए जा रहे थे। इसके आधार पर ही पाक के आगे सरबजीत को बेहतर इलाज के लिए भारत या अन्य किसी तीसरे देश में भेजने का भी प्रस्ताव रखा गया था। सरबजीत की मौत पर देशवासियों का गुस्सा फूट पड़ा। उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल से लेकर जम्मू-कश्मीर तक लोग इसके विरोध में सड़कों पर उतर आए। पाकिस्तान का झंडा जलाया तो कैंिडल मार्च भी निकाला। प्रदर्शनकारियों ने लापरवाही बरतने पर पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। पंजाब में शुरू से ही सरबजीत की रिहाई की मांग कर रहे लोग सदमे में हैं। खैर जो भी हो एक उच्चस्तरीय रणनीत के तहत पाकिस्तान ने सरबजीत को मौत की नींद सुला दी जो भारतीय कूटनीति की सशक्त पराजय है।

Wednesday, April 24, 2013

गीता प्रेस ने सुंदर कांड को पूर्ण रूप देने के लिए दिया विस्तार - किष्किंधा कांड में शामिल शक्ति जागरण के दो दोहों का स्थानांतरण पवनसुत हनुमान का नाम आते ही उनकी रामदूत के रूप में निभाई गई उन तमाम भूमिकाओं का स्मरण हो आता है, जिनका उल्लेख गोस्वामी तुलसीदास ने सुंदर कांड में किया है। किंतु बाल्यकाल में मिला श्राप। जिसके चलते उनकी अपार शक्ति और सामथ्र्य विस्मृत रहती है, उन्हें हर बार क्षमता का एहसास कराना पड़ता है। किष्किंधा कांड में जामवंत पवनसुत की इसी सामथ्र्य को जगाते हैं। रामचरित मानस के प्रकाशक गीता प्रेस ने सुंदर कांड को विस्तार देते हुए उसमें किष्किंधा कांड के दो दोहे जोड़े हैं। गोस्वामी तुलसीदास रचित रामचरित मानस के किष्किंधा कांड में जब समुद्र लांघ लंका में जाने वाले राम दूत की जब तलाश होती है। तब अंगद जैसे तमाम बलवान अपने को असमर्थ पाते हैं। ...और हनुमान, श्राप के चलते अपनी शक्ति और सामथ्र्य भूले हुए हैं। अंत में जामवंत ...का चुप साध रहे हनुमाना... कह उनकी शक्ति याद दिलाते हैं और तब हनुमान विराट रूप धारण कर लंका जाने को तैयार होते हैं। यहीं पर मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के पावन चरित्र का गुणगान करते हुए गोस्वामी जी किष्किंधा कांड का विश्राम कर देते हैं। सुंदर कांड में समुद्र लांघने, सीता माता को खोजने, मेघनाद समेत तमाम योद्धाओं को परास्त करने और लंका दहन के बाद श्रीराम को मां सीता का समाचार देने तक की हनुमान की भूमिकाओं का वर्णन है। यद्यपि तुलसीदास जी ने सुंदर कांड के प्रारंभ में भगवान श्री राम के साथ ही अतुलित बलधामं, हेमशैलाभदेहं... हनुमान जी की महिमा का भी गान किया है किंतु उनकी शक्ति के जागरण का प्रसंग किष्किंधा कांड में ही छूट जाता है। रामचरित मानस के विख्यात ज्ञाता और संस्था के परम सहयोगी रहे रामसुखदास के आग्रह पर गीता प्रेस ने सुंदर कांड के नवीन प्रकाशन में यह संशोधन किया है। नए संस्करण में परंपरागत सुंदर कांड के प्रारंभ से पूर्व किष्किंधा कांड के 29वें और 30वें दोहे को मय चौपाई, छंद और सोरठा के जोड़ दिया है। इन दोहों में जामवंत हनुमान की शक्ति का जागरण कर उन्हें लंका जाने को प्रेरित करते हैं। मानस मर्मज्ञ व्याख्याकारों की मानें तो अखंड पाठ के दौरान तो किष्किंधा कांड और सुंदर कांड का पाठ निरंतरता में क्रमानुसार होता है। लेकिन केवल सुंदर कांड का पाठ करने की स्थिति में हनुमान जी की शक्ति का निरूपण नहीं हो पाता। श्राप के चलते अपनी शक्ति से विस्मृत रहने वाले हनुमान के अद्भुत प्रसंगों का स्मरण करने से पूर्व उनकी शक्ति का जागरण कराना आवश्यक है। तभी हनुमान के विराट स्वरूप का उदय होता है और उपासना सार्थक होती है। -------------- ऐसे लगा था हनुमान को श्राप ------------------- बाल सुलभ चंचल स्वभाव के चलते अंजनी पुत्र समाधि में लीन भृगु और अंगिरा ऋषि कुल के साधु को सता बैठे। ध्यान भंग होने से आवेश में आए साधु ने अपनी अपार शक्ति भूल जाने का श्राप केसरी नंदन को दे डाला था। बाद में पश्चाताप करने पर समाधान दिया कि किसी के याद दिलाने पर ही हनुमान को उनकी अपार शक्ति का स्मरण होगा। -------------------

Monday, March 18, 2013

सेक्‍स के उम्र को घटाना

सहमति से संबंध बनाने की उम्र 16 साल करने की मंत्रिमंडलीय समूह की सिफारिश पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की मुहर लग गई है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में महिला का पीछा करने और अश्लील इशारा करने को गैरजमानती अपराध की श्रेणी में रखने का फैसला किया गया है। मंत्रिमंडल से मंजूरी के बाद संशोधित रूप में अपराध कानून संशोधन विधेयक को संसद में पेश किया जाएगा। ज्ञात हो कि मंत्रियों के बीच उत्पन्न इस मुद्दे पर विवाद दूर करने की जिम्मेदारी पी. चिदंबरम की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंड़लीय समूह को सौंपी गई थी जिसमें सहमति से संसर्ग की उम्र 18 साल से घटाकर 16 साल करने पर एकराय बनी। साथ ही दुष्कर्म के अपराध को महिलाओं के साथ जोड़कर बलात्कार शब्द के प्रयोग का फैसले के साथ ही तेजाब हमले पर कड़े दंड का प्रावधान किया गया है। दुष्कर्म का दोषी पाए जाने पर कम से कम 20 साल की सजा दी जाएगी जिसे ताउम्र सजा में बदला जा सकेगा। दुष्कर्म पीडि़ता की मौत या उसके कौमा में चले जाने की स्थिति में मौत की सजा का भी प्रावधान किया गया है। विधेयक में महिला का पीछा करने और अश्लील इशारे करने को गैरजमानती श्रेणी में रखने का फैसला किया गया है। लेकिन कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए फर्जी शिकायत के मामले में सजा के प्रावधान को विधेयक से हटा लिया गया है। इस बाबत मेरा मानना है कि इस कानून के बन जाने से भारतीय संविधान की धारा 12 व 13 जिसके तहत कानून के समक्ष समानता व कानून के समक्ष समान न्याय के अधिकारों का उल्लंघन होगा। इतना ही नहीं कानून ने जहां वोट डालने,न्यायिक निर्णय,न्यायिक प्रक्रिया आदि के लिए बालिग होने की उम्र 18 वर्ष रखा है यानि उक्त कार्य के लिए इसी उम्र के बाद समझदारी आती है तो सेक्स के लिए आपसी सहमति की उम्र 16 कैसे जायज हो सकता है। यहीं नहीं आइपीसी की धारा 375 के तहत जहां सेक्स के लिए उम्र 16 वर्ष तय की गई है वहीं जुबेनाइल जस्टिस ऐक्ट के तहत इसे 18 वर्ष माना गया है। आइपीसी की धारा 354 के तहत स्त्री के सतीत्व का उल्ल्ंघन होने पर दो साल की सजा व जुर्माना या दोनों,धारा-509 के तहत शब्द,भाव-भंगिमा व ऐसी किसी भी हरकत जिससे स्त्री के सम्मान को ठेस पहुंचता हो तो दोषी को एक साल की सजा या जुर्माना या दोनो हो सकता है। इससे साफ जाहिर है कि देश मे कानून मौजूद है बस जरूरत है उसे राजनीतिक परिवेश से निकालकर सच्चे दिल से लागू करने की,समाज को सही दिशा देने की। नहीं तो मौजूदा परिवेश में इस कानून का दुरुपयोग रोकने के लिए फर्जी शिकायत के मामले में सजा के प्रावधान को विधेयक से हटा लिया गया है जिस कारण इसका 98 फीसद मामलों में दुरूपयोग ही होगा। इससे पुरूष समाज और एग्रेसिव होगा और महिलाओं के प्रति अपराध की विभत्सता में और वृद्धि होगी। क्योंकि दिल्ली दुष्कर्म की घटना के बाद या इससे पहले कोलकाता में दुष्कर्म के आरोपी धन्नंजय चटर्जी को फांसी दिए जाने के बाद विराम नहीं तो कम से कम दुष्कर्म की घटनाओं पर अंकुश अवश्य लग जाना चाहिए था।