Monday, April 9, 2012

साहित्य

अरे साहित्य!
अब तू भूल जा,
अपने स्वर्णिम सिद्धांतों को।
जब तू कहता था,
सर्वे भवन्तु सुखिन:।
छोड़ अपने संस्कारों को,
जिससे तू विभिन्न कालों में,
अपनी गणवेषणा करता था।
तू छोड़ अपनी नीति की नैया,
जब तू भक्ति, रीति व श्रृंगार के,
रसों को पिरोता था।
क्योंकि! अब,
न रहा वह साहित्य,
जिसे साहित्यकारों ने टटोला था।
साहित्य को चाहिए अब मंच,
क्योंकि उसके पंचों को,
नहीं है संच।
उसे चाहिए बरबस आरक्षण
क्योंकि दलितों को मिलता है संरक्षण।
साहित्य भी अब दलित हुआ,
बना उसका दलित मंच।
उस मंच पर काबिज हुए वो,
जिसे न मिला था मंच।
अब ने वे प्रणेता,
झिटकने को तमगा,
पर साहित्य तो हुई बरबस नंगा।

DR.Rajeev Ranjan Thakur

जियारत के बहाने भारत-पाक कूटनीति

अजमेर स्थित सूफी संत ख्‍वाजा मोइनुद़दीन चिश्‍ती की दरगाह पर जियारत के लिए एक दिवसीय भारत दौरे पर पहुंचे पाकिस्‍तान के राष्‍ट्रपति आसिफ अली जरदारी व उनके पुञ विलावल का प्रधानमंञी ने स्‍वागत किया। मौके पर भारत के प्रधानमंञी मनमोहन सिंह के साथ बैठक के दौरान जरदारी ने कहा कि इस मुकद़दस मुकाम पर आकर मुझे जो रुहानी खुशी महसुस हुई है वो नाकाबिले बयान है। अल्‍लाह ताला से दुआ है कि वो तमाम इंसानियत के लिए आसानियां पैदा करें। ख्‍वाजा मोइनुद़दीन चिश्‍ती की दरगाह पर जियारत के बाद उन्‍‍होंने दरगाह के विकास के लिए 10 लाख डालर की राशि देने का एलान किया।
भारतीय प्रधानमंञी द़वारा मुबई हमले के साजिशकर्ता सईद के खिलाफ कडे रूख के बावत जरदारी ‍ने इस मसले पर आगे और बातचीत की आवश्‍यकता की ओर इंगित किया। जरदारी ने जियारत के बहाने भारत से बंहतर संबंध और दोनों देशों के बीच सियाचीन सहित कई विवादास्‍पद मुद़दों के समाधान की आवश्‍यकता जताई।पाक राष्‍ट्रपति के दौरे से जाहिर हो रहा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात में रिश्तों को नए आयाम देने की कोशिश की गई। निर्धारित कार्यक्रम को परे रखकर दिए गए साझा बयान में दोनों नेताओं ने संबंधों को सुधारने पर जोर दिया। वार्ता प्रक्रिया के जरिए पुरानी समस्याओं के व्यावहारिक नतीजे निकालने और संबंधों का नया मॉडल बनाने पर रजामंदी जताई।