Friday, March 31, 2017

वेद सार - 103

येन वेहद बभूविथ नाशयामसि तत त्‍वत।   
इदं तदन्‍यत्र त्‍वदप दूरे नि दध्‍मसि।।
अथर्ववेद—3/23/1
व्‍याख्‍या– जिस पापजन्‍य व्‍याधि के कारण हे स्‍त्री तू बांझ हुई है उस व्‍याधि को हम तुझसे दूर करते हैं। यह व्‍याधि ि‍फर से उत्‍पन्‍न न हो इसलिए इसे हम तुझसे दूर करते हैं।  


आ ते योनिं गर्भ एतु पुमान बाण इवेषुधिम ।
आ वीरोत्र जायतां पुत्रस्‍ते दशमास्‍य:।।
 अथर्ववेद—3/23/2
व्‍याख्‍या– तरकस में बाण के प्रवेश करने के समान ही हे स्‍त्री पुंसत्‍व से युक्‍त गर्भ को तेरे गर्भाशय में स्‍थापित करते हैं। इस गर्भ से दश माह के उपरांत वीर पुत्र की उत्‍पत्ति हो।    

कृणोभि ते प्राजापत्‍यमा योनिं गर्भ एतु ते।    
विन्‍दस्‍व त्‍वं पुत्रं नारि यस्‍तुभ्‍यं शमसच्‍छतुमु तस्‍मै त्‍वं भव।।
अथर्ववेद—3/23/5
व्‍याख्‍या– हे स्‍त्री प्रजापति द़वारा बनाए प्रजनन संबंधी नियमानुसार हम तेरे निमित्‍त यह विधान करते हैं । इस विधान के द़वारा गर्भाशय में गर्भ की स्‍थापना हो तथा तुझे सुख प्रदान करने वाले पुत्र की प्राप्ति हो।


वेद सार - 102

येन  हस्‍ती वर्चसा सम्‍वभूव येन राजा मनुष्‍येष्‍वप्‍स्‍वन्‍त:
येन देवा देवतामग्र आयन्‍तेन मामद़य वर्चसाग्‍ने वर्चस्विनं कृणु ।।
                                       अथर्ववेद—3/22/3
व्‍याख्‍या – जिस तेज से जलचर प्राणी शक्तिसंपन्‍न होते हैं, राजा मनुष्‍यों में तेजस्‍वी होता है और जिस तेज के द़वारा देवों ने सर्वप्रथम देवत्‍व प्राप्‍त किया तथा जिससे हाथी बलवान होता है, वह तेज हमें यशस्‍वी करे।     


Friday, March 3, 2017

वेद सार - 101



सोमं राजानमवसे
ग्निं गीर्भिर्हवामहे। 

आदित्‍यं विष्‍णु सूर्य ब्रहमाणं च बृहस्‍पतिम।।

                                                   अथर्ववेद—3/4‍/20

व्‍याख्‍या- हम अपनी सुरक्षा के निमित्‍त राजा सोम , अग्नि आदित्‍यगण विष्‍णु सूर्य प्रजापति ब्रहमा तथा र्बृहस्‍पति आदि देवताओं को स्‍तोत्रों दवारा आहवाहित करते हैं।

यं त्‍वा होतारं मनसाभि संविदुस्‍त्रयोदश भौवना पंच मानवा ।

वर्चोधसे यशसे सून्‍तत्‍तावते तेभ्‍यो अग्निभ्‍यो हुतमस्‍त्‍वेतत।।

                                                  अथर्ववेद—3/5‍/21

व्‍याख्‍या- तेरह भौवन अर्थात संवत्‍सर के तेरह माह और पांच ॠतुएं देवों का आवाहन करने वाले जाने जाते हैं। उन वर्चस्‍वी, सत्‍यभाषी, कीर्तिवान और सत्‍यवाणी वाले तथा उनकी विभूति रूप अग्नियों के निमित्‍त यह हवि प्राप्‍त हो।