येन  हस्ती वर्चसा सम्वभूव येन राजा मनुष्येष्वप्स्वन्त:। 
येन देवा देवतामग्र आयन्तेन
मामद़य वर्चसाग्ने वर्चस्विनं कृणु ।। 
                                       अथर्ववेद—3/22/3 
व्याख्या – जिस तेज से जलचर
प्राणी शक्तिसंपन्न होते हैं, राजा मनुष्यों में तेजस्वी होता है और जिस तेज के द़वारा
देवों ने सर्वप्रथम देवत्व प्राप्त किया तथा जिससे हाथी बलवान होता है, वह तेज हमें यशस्वी करे।     
No comments:
Post a Comment