सोमं राजानमवसेऽग्निं गीर्भिर्हवामहे।
आदित्यं विष्णु सूर्य ब्रहमाणं च बृहस्पतिम।।
अथर्ववेद—3/4/20
व्याख्या- हम अपनी सुरक्षा के निमित्त राजा सोम , अग्नि आदित्यगण विष्णु सूर्य प्रजापति ब्रहमा तथा र्बृहस्पति आदि देवताओं को स्तोत्रों दवारा आहवाहित करते हैं।
यं त्वा होतारं मनसाभि संविदुस्त्रयोदश भौवना पंच मानवा ।
वर्चोधसे यशसे सून्तत्तावते तेभ्यो अग्निभ्यो हुतमस्त्वेतत।।
अथर्ववेद—3/5/21
व्याख्या- तेरह भौवन अर्थात संवत्सर के तेरह माह और पांच ॠतुएं देवों का आवाहन करने वाले जाने जाते हैं। उन वर्चस्वी, सत्यभाषी, कीर्तिवान और सत्यवाणी वाले तथा उनकी विभूति रूप अग्नियों के निमित्त यह हवि प्राप्त हो।
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