उतेदानीं भगवन्त: स्यामोत प्रपित्व उतऽमध्ये अहनाम।
उतोदितौ मघवन्त्सूर्यस्य वयं देवानां सुमतौ ।।
अथर्ववेद—3/16/4
व्याख्या – तेरी कृपा से हे देव हम भाग्यशाली हों । दिन के प्रात: काल तथा मध्यकाल में भी हम भाग्यशाली ही रहें । हे धन के स्वामी भग देवता हम सूर्योदय के समय समस्त देवताओं की कृपा प्राप्त करने वाले हों।
संशितं म इदं ब्रहम संशितं वीर्य बलम।
वृश्चामि शत्रुणां बाहूननेन हविषाहम ।।
अथर्ववेद—3/19/1
व्याख्या –हमारा ब्रहमनत्व जाति से भ्रंश करने वाले दोष के मिटाने से तीक्ष्ण हो गया । अब यह उच्चारित मंत्र अत्यंत तेजस्वी और प्रभावशाली हो। इसके प्रभाव से हमारी शक्ति एवं पराक्रम में तेजस्विता आए ।
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