Tuesday, December 13, 2011

अंग परिक्रमा

गंगा के पावन तीरों पर
बसा है अंग प्यारा।
मंदराचल नें मथ दिया
सिंधु को न्यारा।
मधुसूदन नें बास लिया
अंग में हमारा।
यहीं जहण्णु में तप किया
अजगैवी के किनारे।
दानवीर कर्ण और
बुद्ध भी हमारे।
अरबिन्दो का रणघोष
दीपांकर के साये।
टैगोर की कलम चली
सभी नें उसे गाया।
शरदचंद की अछूत कन्या
सभी को है भाया।
दिनकर नें हुंकार भरी, और
हिमालय तक को यहां लाया।
विक्रमशिला की श्रेष्ठता ने
ज्ञान का अचरज फैलाया।
सिल्क की श्रेष्ठता ने
समृद्ध इसे बनाया।
दान दे बनैली ने
एक शिक्षण संस्थान बनबाया।
इसी से सन साठ में
भागलपुर विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया।
मिली-जुली संस्कृति, और
सर्वधर्म समभाव है यहां समाया।
तमसो मां ज्योर्तिगमय का
उद्ेश्य इसने बनाया।
धन्य हे अंग भूमि
तूने प्रकाश जो फैलाया।

डा. राजीव रंजन ठाकुर

Saturday, August 27, 2011

Anna has emerged the winner or democracy ochlocracy

Anna has emerged the winner or democracy ochlocracy
If you feel bad when someone reminds duty. Anna Hazare against corruption took the risk. His work passed through the system reminded just exasperating. Manniyon remembered democracy and constitution. Movement was trying to put the split. But 74-year-old Anna Hazare and Styagrrh ahead of the entire system will have to surrender. Rate scandals, tired of scandals have turned the country with Anna. By some members of his hunger strike on 12 Dinclne Hazare allegedly said to doubt that this is the strength of my celibacy. People's Lok Pal Bill in Parliament on three critical issues in the debate agreed in principle on the proposal. The proposal will be sent to the Standing Committee of Parliament.
Finally, it was confirmed that the Gandhian ideology and the way in the sense today is not only an important weapon. However, when Gandhiji had fasted for the Atmshuddhi.It is not that much of this so-called honor Anna's not flush their purveyors in the opposite direction.

Dr. Rajiv Ranjan Thakur
Mobile -09,431,277,525

अन्ना की जीत हुई या लोकतंत्र में उभरा भीड़तंत्र

जब कोई आपको कर्तव्य याद दिलाता है तो बुरा लगता है। भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना हजारे ने यही जोखिम उठाया। व्यवस्था को उसका काम याद दिलाया तो बिल्कुल नागवार गुजरा। माननीयों को लोकतंत्र और संविधान याद आया। आंदोलन में फूट भी डालने की कोशिश हुई। मगर 74 वर्षीय अन्ना हजारे की इच्छाशक्ति और सत्याग्र्रह के आगे पूरे तंत्र को घुटने टेकने पड़े। घोटालों दर घोटालों से ऊब चुका देश अन्ना के साथ खड़ा हो गया। हजारे ने कुछ सांसदों द्वारा उनके अनशन के 12 दिनचलने पर कथित तौर पर संदेह जाहिर करने के पर कहा कि यह मेरे ब्रह्मचर्य की ताकत है। जन लोकपाल विधेयक के तीनों गंभीर मसलों पर संसद में हुई बहस के बाद प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति बनी। अब यह प्रस्ताव संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाएगा।
अंतत: यह साबित हो गया कि गांधीवादी विचारधारा और तरीका आज के दौर में भी प्रसांगिक ही नहीं एक महत्वपूर्ण हथियार भी है। हलांकि गांधीजी ने जब भी अनशन किया वह आत्मशुद्धि के लिए था। अब देखना है कि देश की जनता और लोकतांत्रिक व्यवस्था किस कदर अन्ना के इस महाअभियान रूपी मंथन से निकले अमृत का पान करती है। कहीं यह न हो कि सम्माननीय अन्ना के इस कार्य को तथाकथित उनके पैरोकार उलटी दिशा में न बहा दें।

डाँ राजीव रंजन ठाकुर

Tuesday, August 16, 2011

Across the country angry at the arrest of Anna

Anna Hazare agitating for the Ombudsman's 16 August (Tuesday) against the arrest emerged nationwide outrage. Anna's people took to the streets demanding immediate release. More strongly opposed to Anna's home state of Maharashtra. Bihar, Bengal, Assam and Orissa in India Against Corruption Ó by picketing at various locations under the banner of protest to the arrest of Anna. "I am Anna Hazare Ó or Ó m Anna Hazare wrote slogans against Gandhi cap space Anna supporters - rather rallies. In various districts of Uttar Pradesh, including Lucknow, movement and protest against the arrest of Anna - were performed. Bihar, Patna, Purnia, Muzaffarpur and Bhagalpur continued series of protests in other districts. Actor Manoj Tiwari has also expressed opposition supporters. Trains stopped in Rohtas Anna supporters show their anger. Ranchi, performing in more than 55 people were detained. The black bands tied in Assam. Performed by people in Jammu. Anna supporters Jammu - Srinagar national highway was blocked Satwari Square Road. MP was performed in all cities. Southern states of Tamil Nadu, Karnataka and Kerala in the day's round of demonstrations. In Kerala, social workers, writers, artists and even the salaried people to attend rallies and marches in support of Anna has.
This protest - display does not tell the people how badly entangled in the quagmire of corruption wire - have been wired. People want to get rid of it in some form.It will not take bribes. Anna Hazare's holy crusade will succeed only if it not only
Kpolkalpit movement will become.

Dr. Rajiv Ranjan Thakur

क्या खत्म होगा भ्रष्टाचार !अन्ना की गिरफ्तारी पर देशभर में गुस्सा

मजबूत लोकपाल के लिए आंदोलनरत अन्ना हजारे की 16 अगस्त (मंगलवार) को गिरफ्तारी के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आक्रोश उभरा। अन्ना की तत्काल रिहाई की मांग को लेकर लोग सड़कों पर उतर आए। अन्ना के गृह प्रदेश महाराष्ट्र में विरोध ज्यादा पुरजोर रहा। बिहार, बंगाल, असम और उड़ीसा में 'इंडिया अगेंस्ट करप्शनÓ के बैनर तले विभिन्न स्थानों पर धरना देकर अन्ना की गिरफ्तारी का विरोध जताया गया। 'आइ एम अन्ना हजारेÓ या 'मी अन्ना हजारेÓ नारे लिखी गांधी टोपी लगाए अन्ना समर्थकों ने जगह-जगह रैलियां निकालीं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत विभिन्न जिलों में भी अन्ना की गिरफ्तारी के विरोध में आंदोलन व विरोध-प्रदर्शन किया गया। बिहार के पटना, पूर्णिया, मुजफ्फरपुर और भागलपुर सहित अन्य जिलों में भी विरोध प्रदर्शन का सिलसिला चलता रहा। अभिनेता मनोज तिवारी ने भी समर्थकों के साथ विरोध व्यक्त किया। रोहतास में अन्ना समर्थकों ने ट्रेनें रोककर अपना गुस्सा प्रदर्शित किया। झारखंड की राजधानी रांची में प्रदर्शन कर रहे 55 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया। असम में लोगों ने काली पट्टियां बांधी। जम्मू में भी लोगों ने प्रदर्शन किया। अन्ना समर्थकों ने जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के सतवारी चौक पर सड़क जाम कर दिया। मप्र के सभी शहरों में प्रदर्शन हुआ। दक्षिणी प्रांतों तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में भी दिन भर प्रदर्शनों का दौर रहा। केरल में सामाजिक कार्यकर्ता, लेखक, कलाकार और यहां तक कि नौकरीपेशा लोग भी अन्ना के समर्थन में जुलूस और रैलियों में शिरकत करते नजर आए।
क्या यह विरोध-प्रदर्शन यह नहीं बताता है कि लोग भ्रष्टाचार के दलदल में फंसकर किस कदर तार-तार हो चुके हैं। लोग किसी न किसी रूप में इससे मुक्ति पाना चाहते हैं। लेकिन यह तभी संभव है जब कि लोग दिल से कसम खाऐंगे कि देश से इस कोढ़ को मिटाने के लिए तन-मन-धन से स्वयं को समर्पित करेंगे। घूस ना लेंगे ना देंगे। तभी अन्ना हजारे का यह पवित्र मुहिम सफल हो पाएगा अन्यथा यह केवल
कपोलकल्पित आन्दोलन ही बनकर रह जाऐगा।

डॉ राजीव रंजन ठाकुर

Friday, July 15, 2011

Pak should take action against 26/11 terrorist

Conspirator in the 2008 Mumbai terror attacks in Pakistan, Lashkar - e - Taiba leaders should sue. India and Pakistan with U.S. officials on peace should make every effort to give advice. Even if the July 13 attack that was hatched in Pakistan or not, but for him to take action against perpetrators of 26/11 is the most appropriate time.If the attack was an arm of the Indian Mujahideen, Indian leaders, India - Pak talks will be reduced to stop immediately. Meanwhile, India's financial capital Mumbai serial bomb blast on Wednesday in a news world dominated all media.

Dr rr thakur
09431277525

मुंबई के गुनाहगारों के खिलाफ कार्रवाई करे पाकिस्तान

पाकिस्तान को वर्ष 2008 के मुंबई आतंकी हमलों के साजिशकर्ता लश्कर-ए-तैयबा के नेताओं के खिलाफ मुकदमा चलाना चाहिए। साथ ही अमेरिकी अधिकारियों को हिंदुस्तान और पाकिस्तान को शांति स्थापित करने संबंधी सलाह देने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए। भले ही 13 जुलाई के इस हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई हो या नहीं, लेकिन उसके लिए 26/11 के साजिशकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई करने का यह सबसे उपयुक्त समय है। पाकिस्तान को यह स्पष्ट कर कर देना चाहिए कि भारत के साथ सद्भावना दिखाने और बातचीत को पटरी पर लाने का यह सबसे सही वक्त है। अगर जांच में पाया गया कि इस बार भी हमले की साजिश पाकिस्तान में बैठे लश्कर ने रची है तो भारतीय नेतृत्व अपने पड़ोसी के साथ हाल में बहाल हुई बातचीत को फिर से रोकने पर मजबूर हो जाएगा। अगर हमले में इंडियन मुजाहिदीन का हाथ पाया गया तो भारतीय नेताओं पर भारत-पाक वार्ता तत्काल रोकने का दबाव कम होगा। उधर भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में बुधवार को हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट की खबर दुनियां से सभी मीडिया में भी छाई रही।

Dr rr thakur
bhagalpur
09431277525

Saturday, April 23, 2011

इतिहास का साक्षी लाजपत पार्क बहा रहा आंसू

भागलपुर के मध्य में स्थित लाजपत पार्क जो जंगे आजादी के दिनों से लेकर आज तक इतिहास के कई अध्यायों का गवाह रहा है। स्वतंत्रता सेनानी दीपनारायण सिंह ने 30 एकड़ जमीन दान में देकर तात्कालिन तड़वन्ना में लाजपत पार्क की नींव रखी। दीप बावू ने पंजाब केशरी लाला लाजपत राय जिनको 1928 ई. में साइमन कमीशन का विरोध करने को लेकर लाहौर में अंगे्रजी हुकूमत के आदेश पर बर्बरता पूर्वक पीटा गया। जिसको लेकर तत्कालीन भारतवर्ष में एक भूचाल सा आ गया और इसी पिटाई के बाद लाला लाजपत राय की मौत हो गयी थी,के सम्मान में आजादी के दिवानों के लिए एक प्लेटफार्म के रूप में विकसित किया। यहां आजादी के दिवानों ने 'इंकलाव जिंदावादÓ, 'अंग्रेजों भारत छोड़ोÓ के नारों को बुलंदी दी।
सन् 1934 ई. में प्रलयंकारी भूकंप के बाद जब महात्मा गांधी यहां आए तो इसी पार्क में उन्होंने जनता को अपना संदेश दिया था। 1942 ई.के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान अंग्रेजी वस्त्रों की होलीका भी यहीं जलाई गयी थी। जंगे आजादी के दिनों में नेताजी सुभाषचंद्र बोस, खान अब्दुल गफ्फार खां, आचार्य कृपलानी, सरोजनी नायडू, डा. राजेन्द्र प्रसाद आदि ने इसी पार्क में विशाल जन समूह को संबोधित किया था।
स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सन 1974 ई. के आदोलन में जय प्रकाश नारायण ने नौजवानों को 'जाग रे तरूणाईÓ का संदेश यहीं दिया था। कई दफा आम चुनावों में अटल बिहारी वाजपेई, लालकृष्ण आडवाणी सरीखे नेताओं ने इसी मैदान में विशाल जनसमूह को संबोधित किया। वहीं इतिहास की गाथा कहलाने वाली इस पावन धरती को प्रशासन की उदासीनता ने जानवरों का चारागाह में तब्दील कर दिया है। इस पार्क में सालाना आयोजित होने वाले मेले, सर्कस, मीना बाजार, डिज्नीलैंड आदि से लिए गए कर जो कि नगर निगम वसूलती है का आधा हिस्सा भी इसके सौन्दर्यीकरण के नाम पर खर्च करता तो इतिहास का साक्षी यह मैदान अपनी दयनीय स्थिति पर आंसू नहीं बहाता।

डा. राजीव रंजन ठाकुर
भागलपुर

Saturday, April 9, 2011

Gandhigiri relevant today

Anna Hazare's campaign was successful in delivering their message to the world. on 1930-1931 Gandhi's civil disobedience movement,after independence in 1977, Jayaprakash Narayan's movement show a glimpse of Anna Hazare in the nonviolence movement. The whole country stood with them. The one thing that emerged to lead the country right earring to what extent so-called public representatives have been hollow. They should have forced him to work the person had to be a Gandhian. Movement of people of all sections attachement tells what extent corruption Rupee leech sucks blood to all sections of the people that he was not able to revolt. Order problems associated with corruption. Its roots are very deep. After a gap to merge the whole world saw that all effective weapons today is how Gandhi and his principles.
Today the whole world is struggling to battle on every front is rough for them in Anna that this campaign is a sign that the issue no matter determined through the most trusted on anything you decided your bike and the target should not be activated to achieve success Acumeangee your step. Similarly, the act now - just Team India captain Mahendra Singh Dhoni is also shown.
Maybe after this movement Afalafal Ombudsman appointed under the Bill passed through Fiarkaparast some people are built like strangulation of democratic faith. Ombudsman under the guise of preparing to clamp down on the power of nature and autocracy and centralisation of power. After Bill passed only some of the Ombudsman's appointment is not to be. People need to truly swear that the corruption of minds with myself all the way to eliminate the person and purpose stand in opposition system, would clear the covenant and Karmana. Gandhiji always used to say that the utterances and actions to act in synergy with the true will succeed.

Dr. Rajiv Ranjan Thakur

आज भी प्रासंगिक है गांधीगीरी

अन्ना हजारे का अभियान दुनिया में अपने संदेश को पहुंचाने में सफल रहा। स्वतंत्रतापूर्व 1930-31 में गांधीजी का सविनय अवज्ञा,स्वतंत्रता पश्चात 1977 में जयप्रकाश नारायण के आंदोलन की झलक अन्ना हजारे की इस अहिंसक आंदोलन में दिखी। सारा देश उनके साथ खड़ा हो गया। इससे एक बात तो सामने आई कि आज देश को सही नेतृत्व देने बाले तथाकथित जनप्रतिनिधि किस हद तक खोखले हो चुके हैं। जिस काम को उन्हें करना चाहिए था उसे मजबूरन एक गांधीवादी व्यक्ति को करना पड़ा। आंदोलन में हर तबके के लोगों का जुडऩा यह बताता है कि भ्रष्टाचार रूपी जोंक किस कदर हर तबके के लोगों का खून चूस रहा है कि वह चाहकर भी बगावत नहीं कर पा रहा था। भ्रष्टाचार व्यवस्था से जुड़ी हुई समस्या है। इसकी जड़ें बहुत गहरी हैं। लंबे अंतराल के बाद सारी दुनिया ने देखा कि हर मर्ज के लिए आज भी गांधी व उनका सिद्धांत कितना कारगर अस्त्र है।
आज जब सारी दुनिया हर मोर्चे पर किसी न किसी जंग से जूझ रही है ऐसे में उनके लिए अन्ना का यह अभियान एक संकेत है कि मुद्दा चाहे कुछ भी हो अगर दृढ़ प्रतिज्ञ होकर अपने आप पर सबसे ज्यादा भरोसा कर कुछ भी ठान लें और उस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए क्रियाशील हो जाएं तो सफलता आपका कदम चूमेंगी। इसी तरह का कारनामा अभी-अभी टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने भी कर दिखाया है।
रही बात लोकपाल की तो यह समय ही बताएगा कि वह कितना कारगर होगा। हो सकता है कि इस आंदोलन के फलाफल के बाद पारित विधेयक के तहत नियुक्त लोकपाल के जरिए कुछ फिरकापरस्त लोग लोकतंत्र की आस्था का गला घोंटने का मन बनाए हों। लोकपाल की आड़ में सत्ता पर निरंकुशवादी प्रवृति का शिकंजा कसने की तैयारी हो और सत्ता का केंद्र्रीयकरण हो जाए। केवल विधेयक पारित कर लोकपाल की नियुक्ति से कुछ होने को नहीं है। जरूरत है लोगों को सच्चे दिल से कसम खाने की कि वह जेहन से भ्रष्टाचार को खत्म करने में खुद के साथ ही हर वैसे व्यक्ति व तंत्र के विरोध में खड़ा होकर मनसा,वाचा और कर्मणा से निर्मल होगा। क्योंकि गांधीजी हमेशा कहा करते थे कि कथनी और करनी में तालमेल के साथ कर्म करने पर ही सच्ची सफलता मिलेगी।

डॉ. राजीव रंजन ठाकुर

Wednesday, March 23, 2011

मधुसूदन, मधु और माधवन की गाथा का प्रतीक है मंदार

मधुसूदन, मधु और माधवन की गाथा का प्रतीक है मंदार
भारतवर्ष संसार के प्राचीनतम देशों में से एक है। यहां सभ्यताओं के उत्थान-पतन और राजनीतिक उथल-पुथल अधिक हुए हैं। देश में शायद ही ऐसा कोई स्थल होगा जो ऐतिहासिक महत्व नहीं रखता हो। भारत के कोने-कोने में ही नहीं कण-कण में इतिहास भरा पड़ा है। यहां तक कि इसके इतिहास को जब ऊपरी धरातल पर स्थान नहीं मिला तो वह भारत के भूगर्भ में चला गया और भूगर्भ में भी एक स्तर नहीं, कितनी खुदाई करने पर यह स्पष्ट पता चल रहा है कि हमारा कितना प्राचीन, विशाल और सुन्दर इतिहास अंदर समाया हुआ है। इसी कड़ी में इतिहास और पुराण प्रसिद्ध सम्प्रति बांका जिले के बौंसी में अवस्थित मंदराचल (मंदार पर्वत)एक महत्वपूर्ण पर्वत है। मंदार पुण्य शिला गंगा की तरह पवित्र है। गंगा यदि मानव के लिए देवनदी है तो मंदार मानव की देवगिरि। देवताओं में मधुसूदन के रुप में यदि विष्णु की प्रतिष्ठा मंदार पर हुई तो मधुसूदन शब्द ने मंदार के पराक्रमी असुर वीर मधु को भी सदा के लिए अमर कर दिया। पुराणोक्त मंदार में मधुसूदन, मंदार और मधु तीनों का अच्छा समन्वय हुआ है। अति प्राचीन काल में देवों (आर्यों) और असुरों (अनार्यों) ने मिलकर ही मंदार पर्वत को मथनी बनाकर समुद्र मंथन किया था। जिससे चौदह रत्नों की प्राप्ति हुई थी। मंदार इसी सामंजस्य का प्रतीक है और अपने में मधु और मधुसूदन के गौरव को भी समेटे हुए है। यही कारण है कि मंदार पर, मंदार के सन्निकट यदि भगवान मधुसूदन की पूजा होती रही तो मंदार के नीचे असुर मधु की पूजा। मकर संक्रांति के अवसर पर संभवत: असुर वीर मधु की याद में ही संथाल आदिवासी (अनार्यों)की भीड़ मंदार पर्वत और पर्वत के निकट तथा बौंसी मेले में आज भी एकत्र होती है। संथाल परम्परा के कुछ गीतों में भी मंदार पर्वत (मंदार बुरु)का स्पष्ट उल्लेख मिलता है। आर्यों ने भी मंदार के प्रसिद्ध असुर सरदार मधु के वध से अपने को इतना गौरवान्वित समझा कि उसकी पुण्यस्मृति में मधुसूदन के रुप में विष्णु भगवान की पूजा पर्वत पर प्रारंभ कर दी और मंदार पर मधुसूदन धाम, भारत का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान बन गया। धीरे-धीरे इस पर्वत के समीप एक नगर बसा और वह 'बालिशानगरÓ कहलाया। इस नगर को और मंदार पर्वत स्थित अधिकांश मंदिरों को 1573 ई. के आसपास कालापहाड़ नामक एक आक्रमणकारी ने ध्वस्त कर दिया। प्रसिद्ध मुगल सम्राट जहांगीर के राज्यकाल में मधुसूदन भगवान का मंदिर बौंसी में बनाया गया और तब से भगवान की पूजा बौंसी में ही होने लगी।
मंदार पर्वत जैनियों का भी एक तीर्थ स्थल है। उनका मानना है कि उनके 12वें तीर्थकर भगवान वासुपूज्य का निर्वाण इसी पर्वत पर हुआ था। लेकिन जैनियों का आगमन मंदार पर कब और कैसे हुआ इसका ठीक-ठीक पता नहीं है। आजकल पर्वत के शिखर पर स्थित दोनों मंदिर जैनियों के अधिकार में है, जिसे देखने दूर-दूर से जैन धर्मावलम्बी यहां आते हंै।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी पहाड़ी व जंगली इलाका होने के कारण रणबांकुरे अंग्रेजी सरकार की नजरों से बचने के लिए इस पहाड़ के इर्द-गिर्द छिपते थे।
मंदार पर्वत के आसपास की जलवायु भी बड़ी अच्छी है। प्रतिवर्ष दूर-दूर से लोग स्वास्थ्य लाभ करने यहां आते है। मंदार पर्वत के वन, उपवन वनस्पति, औषधि, जलधराएं, निर्झर, कुंड, जलाशय, शिलाखंड, जीव-जन्तु, पक्षी, चट्टानों पर उत्कीर्ण मूर्तियां और अभिलेख आदि काफी प्रेरणापरक हैं। मंदार की तलहटी में मगध के गुप्त वंशीय राजा आदित्य सेन की पत्नी महाराणी कोण देवी द्वारा निर्मित प्रसिद्ध सरोवर पुष्करणी है जिसके बारे में मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन ब्रह्म्म मुहूर्त के समय इस सरोवर में स्नान करने से मनुष्य को सभी पापों और शापों से मुक्ति मिल जाती है। पश्चिम बंगाल के प्रथम मुख्यमंत्री डा. विधानचंद्र राय ने अपनी चिकित्सा विज्ञान की पुस्तक में लिखा है कि बौंसी के पापहरणी सरोवर के जल से प्रतिदिन स्नान करने से कुष्ठ जैसे असाध्य रोगों से मुक्ति मिल सकती है। मंदार पर्वत के अतिरिक्त मंदार क्षेत्र में और भी बहुत से दर्शनीय स्थान हैं। इस क्षेत्र की प्राकृतिक बनावट और नैसर्गिक दृश्य अत्यन्त रमणीय और मनोहर है। प्राकृतिक सौन्दर्य, अच्छी जलवायु और उपजाऊ भूमि रहने के कारण यह क्षेत्र सभी तरह से संपन्न है। इन दिनों स्थापित मंदार नेचर क्लब इस क्षेत्र की पूरी देख-रेख करता है। शिक्षा और संस्कृतिक के क्षेत्र में भी मंदार क्षेत्र कभी पीछे नहीं रहा है।
सन 1505 ई. में चैतन्य महाप्रभु भी यहां पधारे थे। योगिराज भूपेन्द्र नाथ सान्याल ने यहां के आकर्षण से प्रभावित होकर लगभग 52 वर्ष पूर्व मंदार के समीप मधुसूदन नगर में अपने गुरुदेव महर्षि श्यामाचरण लाहिरी की पुण्यस्मृति में गुरुधाम आश्रम बनवाया और वहां श्यामाचरण विद्यापीठ नामक एक संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना की। फिर इसी मंदार ने श्री आनंद शंकर माधवन नामक एक दक्षिण भारतीय युवक को पर्वत के ठीक नीचे पूर्व की ओर मंदार विद्यापीठ के नाम से एक शिक्षण संस्थान के निर्माण के लिए प्रेरित किया और इसकी स्थापना 1945 ई. में हुई। श्री माधवन अपने गांव घर छोड़कर मंदार की सेवा में पूर्णतया समर्पित रहे। इन उदाहरणों की पुष्टि स्वर्गीय डा. अभय कांत चौधरी ने अपनी पुस्तक मंदार परिचय में भी की है।
सचमुच मधुसूदन मधु, मंदार और माधवन में कितना सामंजस्य है, यह चातुर्दिक दुष्टिपात करने पर ही पता चलता है। एक ओर जहां मधुसूदन धार्मिक सहिष्णुता और आस्था का प्रतीक है, वहीं मधु अनार्यों की शक्ति का परिचायक। मंदार आर्यों व अनार्यों को मिलाने की कड़ी तो माधवन दक्षिण भारत और उत्तर भारत की शिक्षा और सांस्कृतिक मिलन की कड़ी। कितना अद्भूत नजारा है इस नमोन्मेषता के मंदार में।
डा. राजीव रंजन ठाकुर
ठाकुर भवन
गुमटी न.-12 के पास
भीखनपुर, भागलपुर

Tuesday, February 15, 2011

Personality

Personality
"No matter how much man-high why is not up, so why not across the floors move, but his Achte - evil deeds not following Parchhaeyon never leave her. Ó
People think that garden yet whatever he has studied is enough. More than qualified and capable person is none. People become victims of confusion here. Because they have studied, not knowledge. Education and knowledge, two different - different dimensions, such as intelligence and wisdom. Education may be the limit but not knowledge. Humans from birth until going to warn this ocean of ignorance that he is putting Adubkiyon so read, taken many degrees, so acquired. But the reality is that he not be certain. He came to this earth naked only for the time he strips to get such a long way. If it says no human knowledge greater than my sense is not ignorant on this earth. Education is how you take it you evidence - letters can show, but how much knowledge you have gained, I think it might scale to measure your intelligence, wisdom, decency and force of your character that your forehead of the aura is stunning.
I thought that if you take the time that education be practical and not the social side will create in you the same education ego that neither you nor will live in peace you will live in peace to others. The knowledge around the key can not ever Aftka. Knowledge is like full glass of water is true. While education is a deer Marichika Alghat is always dive in the world. Knowledge that education and order the butter buttermilk Rupee Math can be achieved.

Dr. Rajiv Ranjan Thakur

व्यक्तित्व

व्यक्तित्व
'इंसान कितना ही उंचा क्यों न उठ जाए,कितनी ही मंजिलें क्यों न पार कर ले लेकिन उसके अच्ठे-बुरे कर्मों की परछाइयां उसका कभी पीछा नहीं छोड़ती। Ó
लोग बाग यह सोचते हैं कि अब तक उन्होंने जो कुछ शिक्षा ग्रहण की है वह काफी है। उससे ज्यादा योग्य व काबिल व्यक्ति कोई नहीं है। यहीं पर लोग भ्रम के शिकार हो जाते हैं। कारण उन्होंने शिक्षा ग्रहण की है, ज्ञान नहीं। शिक्षा और ज्ञान दो अलग -अलग आयाम हैं, जैसे बुद्धि और विवेक। शिक्षा की सीमा तो हो सकती है लेकिन ज्ञान की नहीं। मनुष्य जन्म से चिता तक जाने के पहले तक अज्ञानता के इसी सागर में डुबकियां लगाते रहता है कि उसने बहुत पढ़ लिया,बहुत डिग्रियां ले ली,बहुत ज्ञान प्राप्त कर लिया। लेकिन वास्तविकता यह है कि उसने कुछ जाना ही नहीं। वह इस पृथ्वी पर नंगा आया था केवल जाने के समय के लिए उसने कफन पाने के लिए इतना लंबा सफर तय किया। अगर इसे कोई मनुष्य ज्ञान कहता है तो मेरी समझ में उससे बड़ा अज्ञानी इस धरा पर कोई नहीं है। आपने शिक्षा कितनी ग्रहण की है इसके लिए तो आप प्रमाण- पत्र दे सकते हैं,दिखा सकते हैं लेकिन आपने कितना ज्ञान अर्जित किया है, इसे मापने का शायद मेरे विचार से पैमाना आपकी बुद्धि,विवेक,शालीनता और आपका चरित्र बल है जो आपके ललाट की आभा से शोभायमान होता है।
मेरा विचार है कि अगर आपने शिक्षा लेते वक्त उसके व्यावहारिक व सामाजिक पक्ष को नहीं जाना तो आपमें वही शिक्षा अहम् पैदा कर देगी जो आपको ना तो चैन से जीने देगा और ना ही आप चैन से दूसरों को जीने देंगे। जबकि ज्ञान के आसपास अहम कभी फटक भी नहीं सकता। ज्ञान भरे गिलास में पानी की तरह है जो सत्य है। वहीं शिक्षा एक मृग मारीचिका है जो हमेशा संसार में गोते लगवाता रहता है। ज्ञान वह मक्खन है जिसे शिक्षा व व्यवस्था रूपी छाछ को मथ कर प्राप्त किया जा सकता है।

डॉ राजीव रंजन ठाकुर