ऊँचे लक्ष्य को पाने के लिए ऊँची छलाँग नहीं लगाई जा
सकती बल्कि छोटी-छोटी सीढ़ियाँ चढ़कर ही वहाँ पहुँचा
जा सकता है। आप भी अपनी प्रतिभा को ऊँचाइयों तक
पहुँचाने के लिए इन छोटी-छोटी सीढ़ियों से रास्ता
तय कीजिए।
विद्वान कहते हैं, "पानी की छोटी-छोटी बूँदों और
रेत के छोटे-छोटे कणों द्वारा ही विशाल सागर का
निर्माण होता है। इसी तरह छोटे-छोटे मिनटों, भले
ही वे प्रथम दृष्टि में महत्वहीन नजर आते हैं,
द्वारा विशाल युगों का निर्माण निरंतर होता रहता
है।" परंतु सरल से नजर आने वाले इस कथन की गहराई में
बहुतेरे अधीर युवा जाना ही नहीं चाहते और इस तरह
उनकी कई अभिरुचियाँ एवं नैसर्गिक क्षमताएँ
फलने-फूलने के बजाय दिमाग के किसी कोने में सिमटकर
रह जाती हैं। इसके विपरीत जो लोग अपने लक्ष्य से संबंधित
छोटे-छोटे अवसरों को भी बारीकी से पहचानकर समर्पित
भाव से अपनी संपूर्ण ऊर्जा, बुद्धि और विवेक उसमें
लगा देते हैं, वे अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए
छोटी-छोटी सीढि़यों का निर्माण निरंतर करते जाते
हैं। इसी कतार में शामिल कोई न कोई सीढ़ी इनके
भाग्योदय की भी वजह बन जाती है।
एक बात हमेशा याद रखिए कि दक्षता, प्रयास, अभ्यास और
प्रयोगशीलता का ही परिणाम है। जब आप तयशुदा लक्ष्य
से संबद्ध योजना को अमलीजामा पहनाकर प्रयासों की
लड़ी बनाते हैं, तब आपका हर प्रयास आपके दामन में
अनुभव के कई बेशकीमती मोती छोड़ता जाता है और शनै:
शनै: इनका खूबसूरत संयोजन आपके हुनर को निखारकर
आपकी शख्सियत में चार चाँद लगा देता है।
इसके विपरीत जब-जब आप अपने आलस्य, टालमटोल या खुद
को कमतर आँकते हुए अवसरों की उपेक्षा कर बैठते
हैं, तब-तब आप किस्मत की न जाने कितनी कुंजियों से
वंचित रह जाते है। सफलता छोटे-छोटे प्रयासों से ही
मिलकर बनती है।
इसलिए चौकन्ने होकर अपने लक्ष्य से संबद्ध अवसरों
की महीन पदचाप को सुनते रहिए और हर अवसर का मनोयोग
से स्वागत कीजिए, क्योंकि छोटे-छोटे प्रयासों की
ये लडि़याँ ही आपका पथ प्रशस्त कर आपको मंजिल तक
पहुँचा देंगी।
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