भाव भक्ति द्वारा समस्त देवगणों से पूजित एवं सेवित, करोड़ो सूर्यों की प्रखर कांति से युक्त, अष्टदल कमल से वेष्टित सदाशिव का लिंग रूप विग्रह समस्त चराचर की उत्पत्ति का कारण और समस्त भूतों एवं अष्ट दरिद्रों का नाश करने वाला है। शिवलिंग ब्रह्मा, विष्णु द्वारा पूजित होने के कारण जन्मजन्य दु:ख का विनाशक है। सदा शिव का लिंड्ड रूप कुंकम, चंदन, भष्म आदि से लिम्पित होने के कारण जन्म-जन्म के पापों का नाश करने वाला है। शिव के समस्त रूप मानव को आठों प्रहर, हर दिशा, दशा, काल और परिवेश मे रक्षा प्रदान करने मे सक्षम है। शिवलिंग की पूजा को पुराणों में भी श्रेष्ठ माना गया है। इसकी पूजा से समस्त पापों, विपत्तियों, रोगों आदि से छुटकारा मिल जाता है। जरा सोचिए कि भोलेनाथ का चरित्र कितना उद्दात है। एक ओर तो हम उनकी स्तुति करते हुए कहते है- कर्पूर गौंर करुणावतारं अर्थात जो कर्पूर के समान गौर वर्ण के हैं और साक्षात करुणा के अवतार है। वही संसार को पाप रूपी विष के मुक्ति दिलाने के लिए जब समुद्र मंथन के उपरांत प्राप्त विष को गले में उतार लिया तो नील कंठ कहलाये। उसके बाद हम कहने लगे नीलांम्ब भुजस्य मल कोमलांगम् - अर्थात जो स्वयं लोगों को जीवन देने के लिए विष धारण कर कर्पुर वर्ण से नीलांम्बर हो गए। ऐसा किसी भी देव दानव या मानव से संभव है क्या? समस्त वैभव युक्त स्वर्ग का त्याग कर हिमखंड कैताश मे वास करना, शमशान मे निवास करना, बाघ का चर्म पहना, सर्पों की माला धारण करना, भांग, धतुर, कंद-मूल खाना, नंदी की सवारी करना आदि क्या कोई ऐसा त्याग कर सकता है क्या? बावजूद समस्त जगत में सबों के लिए सर्व सुलभ बाबा भोले नाथ जैसा
पथप्रदर्शक, गुरू, अध्येता, वैद्य, महाकाल, महामृत्युंजय, आशुतोष, नीलकंठ आदि कोई हो सकता है। कदापि नहीं। इसीलिए विप्र जन उनकी स्तुति करते हुए कहते है-ं बिमल विभूति बूढ़ बरद बहनमां से लम्बे-लम्बे लट लटाकवे बाबा बासुकि। परम आरत हूं मंै सुख शांति सब खोई, तेरे द्वारे भिक्षा मांगन आये बाब बासुकि। कहत सेवकगण दुहु कर जोरी बाबा दुखिया के दु:ख हरहुु बाबा बासुकि....। सचमुच समस्त जगत के उद्दात दाता हैं भोलनाथ।
डॉ राजीव रंजन ठाकुर
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