Saturday, December 19, 2015

महामृत्युंजय शिव मंत्र ही सभी कष्टों से मुक्ति के उपाय

एको देवो महेश्‍वर। अर्थात भगवान भोलेनाथ ही सभी भूतों के प्रमुख पूजनीय व आराध्‍य देव हैं जिनकी कृपा से हर योनी का जीव अपनी कामना सिद़ध कर सकता है। सनातन धर्म की मान्यताओं में संसार पंचभूतों यानी पृथ्वी, जल, आकाश, वायु और अग्रि से बना है। ये पंच तत्व भी कहलाते हैं। हर तत्व का एक देवता है जो पंच देवों के रूप में पूजनीय हैं। भगवान शिव इन पांच तत्वों में से पृथ्वी तत्व के देवता माने जाते हैं। यही कारण है कि भैतिकवादी संसार में सुखों और कामनाओं की पूर्ति के लिए भगवान शिव की उपासना का महत्व है। लिंग पुराण के अनुसार शिव ज्योर्तिलिंग अर्द्धरात्रि के समय प्रकट हुआ था। इसलिए रात के समय शिव साधना बहुत ही असरदार मानी जाती है।
शिव पुराण के अनुसार महामृत्युंजय मन्त्र से कल्याणकारी शिव प्रसन्न होते हैं और धन ,सम्मान एवं ख्याति का विस्तार होता है। मृत्युतुल्य कष्ट, लंबी बीमारी एवं घरेलू समस्या से ग्रस्त होने पर महामृत्युंजय मन्त्र रामबाण सिद्ध होता है। जन्म कुंडली मे अगर मारकेश ग्रह बैठा हो या हाथ की आयु रेखा जगह जगह से कट रही हो या मिटी हुई हो तो यह जप अवश्य करें। जप की मात्रा सवा लाख होनी चाहिए।

मारकेश ग्रह के लक्षण: कुंडली मे मारकेश ग्रह बैठा होने का मुख्य पहचान है आपके मन मे बैचनी का अनुभव होना। किसी कार्य मे मन नहीं लगाना ,दुर्घटना होते रहना, बीमारी से त्रस्त रहना, अपनों से मनमुटाव होना, शत्रुओं की संख्या मे निरंतर वृद्धि होना एवं कार्य पूरा होते होते रह जाना, समाज मे मान और सम्मान की कमी होना। जब मारकेश ग्रह की महादशा व्यतीत होने लगती है तो यह मृत्यु का कारण बन जाता है। जप शुरू करने से पूर्व अगर रुद्राभिषेक कर लिया जाए तो मन्त्र विशेष फलदायी हो जाता है।

जप नियम: जप निर्धारित मात्रा मे तथा निर्धारित समय पर प्रतिदिन के हिसाब से होना चाहिए। जप के दौरान पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन, सात्विक भोजन, सत्य बचन, अहिंसा का पालन व वाणी पर नियंत्रण होना जरूरी है। अन्यथा यह जप पूर्ण फलदायी नहीं होता है। जप मे नियमबद्धता का होना ज्यादा जरूरी है। जप अपने घर या शिवालय में करें। अगर शिवालय किसी नदी के किनारे हो तो यह जप विशेष फलदायी होता है।

जप के समय ध्यान मे रखने वाली बातें :जप उसी समय प्रारम्भ करना चाहिए जब शिव का निवास कैलाश पर्वत पर, गौरी के सान्निध्य हों या शिव बसहा पर आरूढ़ हों। शिव का वास जब शमशान में हो तो जप की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। जप करते समय मुंह से आवाज नहीं निकालना चाहिए । जप के दौरान जम्हाई आने से वायें हाथ की उंगली से चुटकी बजाना चाहिए। जप के समय शिव का स्मरण सदैव करते रहना चाहिए। जप के पूर्ण होने पर हवन करना चाहिए और हवण के अंत में जप की कुल संख्या का दशांश तर्पण और उसका दशांश मार्जन करना चाहिए।  तदुपरांत दान एवं ब्राह्मण भोजन करवाना चाहिए।
कहा गया है दुख मे सुमिरन सब करे दुख मे करे न कोई, जो सुख मे सुमिरन करे दुख कहे को होय। इसलिये अगर आप कोई समस्या से ग्रस्त नहीं हैं आप साधारण तौर से अपनी जि़ंदगी व्यतीत कर रहे हैं तब भी आप शिव के इस चमत्कारी मन्त्र का जप अवश्य करें। जिंदगी रूपी नदी सुख और दुख रूपी दो किनारों के बीच प्रवाहित होती है, अगर आप समय रहते शिव मन्त्र का जप करते रहेंगे तो आप सदैव प्रसन्न रहेंगे।

शिव की प्रसन्नता प्राप्ति हेतु कुछ अन्य सुगम मन्त्र:
1.ह्रों जूं स:। इस शिव मन्त्र के नियमित 108 बार जप करने से शिव की कृपा वर्षा निरंतर होते रहती है।
2.नम: शिवाय। इस शिव मन्त्र का 108 बार प्रतिदिन जप आपको निरंतर प्रगति की ओर ले जाएगा। 

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