Thursday, November 19, 2015

अमोघ शक्ति का पूंज है गायञी मंञ

मुंडकोपनिषद् में गायत्री के वेदों की जननी कहा गया है। यही एक मात्र ऐसा मंत्र है जिसकी उपासना व आराधना से ब्रह्मांड के समस्त देवी-देवताओं का ध्यान हो जाता है। इन्हीें शक्तियों के कारण इसे अतिगोपनीय मंत्र माना गया है। यही कारण है कि उपनयन संस्कार के समय बटुकों को उनके आचार्य कान में पूरे शरीर को ढक कर मंत्र का उच्चारण करते हैं।
देवी पुराण में गायत्री मंत्र और उस मंत्र के अक्षरों की चैतन्य शक्तियों के बारे मे विस्तार से बताया गया है।
ऊॅ भूभुर्व: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो योन: प्रचोदयात्।
गायत्री के इन मन्त्रों में " ऊॅ भूभुर्व: स्व" को देवी का प्रणव माना जाता है। इसके बाद के शब्दों की कुल संख्या 24 है। इनकी अक्षरों की चैतन्य शक्तियां और इनके कार्य अलग- अलग हैं। यजुर्वेद के अनुसार इनका विभाजन ऐसे किया गया है...
गायत्री वर्ण देवता शक्ति / कार्य
तत् गणेश सफलता,विध्नहरण, बुद्धि, वृद्धि
नरसिंह     पराक्रम,पुरूषार्थ, शत्रुनाश
वि विष्णु  पालन,प्राणियों का पालन रक्षा
तु:         शिव निश्वलता,आत्मपरायण, मुक्तिदान, आत्मनिष्ठा
श्री कृष्ण योग, क्रियाशीलता, कर्मयाेग, सौन्दर्य
रे राधा प्रेम, द्वेष समाप्ति, प्रेम दृष्टि
णि लक्ष्मी धन, धन,पद,यश और योग्य पदार्थ की प्राप्ति
यं अग्नि तेज, उष्णता,प्रकाश, सामर्थ्‍यवृदिध, तेजस्विता
इन्द्र रक्षा,भूत-प्रेतादि से मुक्ति, शत्रु के अनिष्ट आक्रमण से रक्षा
र्गो सरस्वती बुद्धि, मेघावृद्धि, चातुर्य, दूरदर्शिता, विवेकशीलता
दे दुर्गा दमन,विध्न पर विजय, शत्रुसंहार
हनुमान निष्ठा,कर्तव्य परायणता, निर्भयता, ब्रह्मचर्य निष्ठा
स्य पृथ्वी गम्भीरता, क्षमाशीलता, भारवहनक्षमता, सहिष्‍णुता
घी सूर्य        प्राण, प्रकाश,आरोग्य वृद्धि
श्रीराम मर्यादा, मैत्री, अविचलता
हि सीता तप,  निर्विकारता, पवित्रता,शील
घि चन्द्र शांति,  क्षोभ,उद्धिग्धनता का शमन
यो यम काल,मृत्यु से निर्भयता, समय सदुपयोग जागरूकता
यो ब्रह्म उत्पादन वृद्धि ,संतान वृद्धि
न: वरुण ईश, भावुकता, आर्द्रता, माधुर्य
प्र नारायण आदर्श, महत्वाकांक्षावृद्धि, उज्जवल चरित्र
चो हयग्रीव साहस,उत्साह, वीरता,निर्भयता,जूझने की शक्ति
हंस विवेक,उज्जवल कृति,सत्संगति, आत्मतुष्टि
यात् तुलसी सेवा, सत्यनिष्ठा,पतिव्रत्यनिष्ठा,आत्मशक्ति,परकष्ट निवारण
 सचमुच अगर साधक एकमात्र इसी मंत्र की साधना करे तो वह सभी देवी-देवताओं का कृपापात्र बन सकता है।

 

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