मा नस्तोके तनये मा आयौ मा नो गोषु मा नो अश्वेषु रीरिषा:।
वीरान्मा नो रुद्र भामितो वधीर्हविष्मन्त: सदभित्वा हवामहे।।
ऋग्वेद:-1/8/6/8
भावार्थ:-
मा-मत
न: - हमारे
तोके-कनिष्ठ पुत्र में
तनये-मध्यम और ज्येष्ठ पुत्रों में
आर्यो- उमर में
गोषु- गाय आदि पशुओं
रीरिष: -रोगयुक्त होके प्रवृत हों
वीरान-सेना के शूरों में
रुद्र-हे भगवान रुद्र
भामित: -क्रोधित
वधी: -नष्ट करो
हविष्मन्त: -यज्ञ करने वाले
सदम्-सदा
इत-एव
त्वा-आपको
हवामहे-आह्वान करते हैं।
व्याख्या:-हे रुद्र आप हमारे कनिष्ठ,मध्यम और ज्येष्ठ पुत्र,उमर,गाय आदि पशुओं,हमारी सेना के शूरों में,यज्ञ के करने वाले पर कभी क्रोधित और रोषयुक्त होकर प्रवृत मत हो। हमलोग आप को सदैव आह्वान करते हैं।
हे भगवान रुद्र आपसे यही प्रार्थना है कि हमारी और हमारे पुत्रों,धनैश्वर्यादि की रक्षा करो।
वीरान्मा नो रुद्र भामितो वधीर्हविष्मन्त: सदभित्वा हवामहे।।
ऋग्वेद:-1/8/6/8
भावार्थ:-
मा-मत
न: - हमारे
तोके-कनिष्ठ पुत्र में
तनये-मध्यम और ज्येष्ठ पुत्रों में
आर्यो- उमर में
गोषु- गाय आदि पशुओं
रीरिष: -रोगयुक्त होके प्रवृत हों
वीरान-सेना के शूरों में
रुद्र-हे भगवान रुद्र
भामित: -क्रोधित
वधी: -नष्ट करो
हविष्मन्त: -यज्ञ करने वाले
सदम्-सदा
इत-एव
त्वा-आपको
हवामहे-आह्वान करते हैं।
व्याख्या:-हे रुद्र आप हमारे कनिष्ठ,मध्यम और ज्येष्ठ पुत्र,उमर,गाय आदि पशुओं,हमारी सेना के शूरों में,यज्ञ के करने वाले पर कभी क्रोधित और रोषयुक्त होकर प्रवृत मत हो। हमलोग आप को सदैव आह्वान करते हैं।
हे भगवान रुद्र आपसे यही प्रार्थना है कि हमारी और हमारे पुत्रों,धनैश्वर्यादि की रक्षा करो।
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