Wednesday, January 11, 2017

वेद सार--92

योन: स्‍वो यो अरण: सजात उत निष्‍टयो यो अस्‍मां अभिदासति ।
रुद्र: शरव्‍य यैतान ममामित्रान वि विध्‍यातु।।
                                  अथर्ववेद – 1 /19 / 3
व्‍याख्‍या– हमसे संग्राम करके, अधिकार को लेकर, हमें दास बनाने वाले हमारे स्‍वजन अथवा दूसरे अन्‍य लोग, सजातीय अथवा दूसरी जाति वाले छोटे लोग जो हमारे शत्रु हैं, रुद्रदेव उन्‍हें अपने हिंसक वाणों से छलनी करें।

: सपत्‍नो यो सपत्‍नो यश्‍च दिव पाति न:
देवास्‍तं सर्वे धूर्वन्‍तु ब्रहम वर्म ममान्‍तम।।
                                    अथर्ववेद – 1/ 19/ 4
व्‍याख्‍या– हमारे जो शत्रु गुप्‍त रूप से अथवा प्रकट होकर द़वेष भाव से हमारा संहार करने का प्रयत्‍न करें या हमें शापित करें उन शत्रुओं को सभी देवता समाप्‍त करें । कवचरूपी मंत्र हमारी सुरक्षा करे।  


No comments:

Post a Comment