सूर्य यत् ते तपस्तेन तं प्रति तप योस्मान् द्वेष्टि यं वचं द्विष्म:।।
अथर्वर्वेद:-3/21/3
व्याख्या:- हे शक्तिमान सूर्य तू अपनी प्रज्जवल शक्ति द्वारा उन शत्रुओं को जला जो हमसे द्वेष करते हैं अथवा जिनसे हम द्वेष करते हैंं।
वायो यत् ते तेजस्तेनत यतेजसं कृणु योस्मान् द्वेष्टि यं वयं द्विष्म:।।
अथर्वर्वेद:-2/20/5
व्याख्या:-हे वशीभूत करने की शक्ति वाले वायु तू इस शक्ति के द्वारा उस शत्रु को तेजहीन कर दे,जो हमसे द्वेष करता है अथवा हम जिससे द्वेष करते हैं।
अथर्वर्वेद:-3/21/3
व्याख्या:- हे शक्तिमान सूर्य तू अपनी प्रज्जवल शक्ति द्वारा उन शत्रुओं को जला जो हमसे द्वेष करते हैं अथवा जिनसे हम द्वेष करते हैंं।
वायो यत् ते तेजस्तेनत यतेजसं कृणु योस्मान् द्वेष्टि यं वयं द्विष्म:।।
अथर्वर्वेद:-2/20/5
व्याख्या:-हे वशीभूत करने की शक्ति वाले वायु तू इस शक्ति के द्वारा उस शत्रु को तेजहीन कर दे,जो हमसे द्वेष करता है अथवा हम जिससे द्वेष करते हैं।
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