अतो देवा अवन्तु नो यतो विष्णुर्विचक्रमे।
पृथिव्या: सप्त धामभि:।।
ऋग्वेद:-1/2/7/16
भावार्थ :-
अत: - उस सामथ्र्य से
देवा: - हे विद्वानो
अवन्तु - रक्षा करें
न: - हमलोगों की
यत: - जिस सामथ्र्य से
विष्णु - परम पिता परमेश्वर
विचक्रमे - विस्तृत विद्यायुक्त वेद को बनाया
पृथिव्या: - पृथ्वी से लेकर
सप्त - सात छंद
धामभि: - लोक
व्याख्या:- हे विद्वानो सर्वत्रव्यापी परमेश्वर ने सब जीवों को पाप तथा पुण्य का फल भोगने और सब पदार्थों के स्थित होने के लिए पृथ्वी से लेकर सातों छन्दों से गायत्रयादि और विस्तृत विद्यायुक्त वेदों को बनाया, उसी सामथ्र्य से हमलोगों की रक्षा करें।
हे विद्वानो आप लोग भी उसी विष्णु के उपदेश से हमारी रक्षा करें। कैसा है वह विष्णु जिसने समस्त जगत को विविध प्रकार से रचा है। उनकी नित्य भक्ति करो।
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