Monday, January 18, 2016

वेद सार-6

पावका न: सरस्वती वाजेभिर्वाजिनीवती। यज्ञं वष्टुधियावसु:।।
ऋग्वेद :-1/1/6/10

भावार्थ:-
 पावका-पवित्र करने वाली मंगलकारक वाणी
न: - हमको
सरस्वती - सर्वशास्त्र विज्ञानयुक्त वाणी
वाजेभि: - सर्वोत्कृष्ठ अन्नादि के साथ
वाजिनीवती - सर्वोत्तम क्रिया विज्ञानयुक्त वाणी
यज्ञम् - सर्वशास्त्र बोध
वष्टु - कामनायुक्त सदैव हो
धिया - परमोत्तम बुद्धि के साथ
वस्तु: - निधिस्वरूप वाणी

व्याख्या - हे वाक्यते हमको आपकी कृपा से सर्वशास्त्र विज्ञानयुक्त वाणी प्राप्त हो। सर्वोत्कृष्ट अन्नादि के साथ वर्तमान सर्वोत्तम क्रिया विज्ञानयुक्त पवित्र स्वरूप और पवित्र करने वाली मंगलकारक वाणी आपकी प्रेरणा से प्राप्त होके आपके अनुग्रह से परमोत्तम बुद्धि के साथ वर्तमान निधिस्वरूप यह वाणी सर्वशास्त्र बोध और विज्ञान की कामना युक्त सदैव हो जिससे हमारी सब मूर्खता नष्ट हो और हम महापांडिल युक्त हों।

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