भृगु संहिता के अनुसार प्रत्येक मनुष्य किसी न किसी राशि के सानिध्य में ही जन्म लेता है। वहीं राशि उसकी कुंडली का राशि स्वामी होता है। उस वक्त वह राशि किसी न किसी ग्रह की छत्रछाया में रहता है। उसी के अनुरूप उस व्यक्ति की जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति का निर्धारण होता है।उसी ग्रह के अनुरूप उस मनुष्य की दैनिक शैली बनती है और ताउम्र वह ऊसी तरह से अपने कार्यस्वरूप को अंजाम देता है। उसके जीवन की सारी घटनाएं उसी के अनुरूप बनती-बिगड़ती है। उसी ग्रह और राशि की प्रकृति के अनुरूप वह दैहिक, दैविक और भौतिक ताप तथा सत्व, रज और तम गुणों से संपोषित होता है। अत: प्रत्येक मनुष्य को चाहिए कि उसका राशि स्वामी जो भी राशि हो उससे संबंधित मंत्र का प्रतिदिन 108 बार अवश्य जप करे। इससे वी आरोग्य बना रहता है साथ ही विघ्न-बाधाओं की चपेट से भी बचता है। यह ठीक उसी प्रकार से होता है जैसे एक बीमार व्यक्ति को जब अस्पताल ले जाया जाता है तो उसे पहले किसी न किसी डाक्टर की यूनिट में भर्ती किया जाता है जबकि समय-समय पर उसका इलाज अन्य डाक्टर भी करते हैं।
12 राशियों से संबंधित मंत्र--
1.मेष राशि -ऊँ हृीं श्रीं लक्ष्मीनारायणाय नम: ।
2.वृषभ राशि-ऊँ गोपालाय उत्तरध्वजाय नम: ।
3.मिथुन राशि-ऊँ क्लीं कृष्णाय नम: ।
4-कर्क राशि-ऊँ हिरण्यगर्भाय अव्यक्त रुपिणे नम: ।
5.सिंह राशि- ऊँ क्लीं ब्रह्मणे जगदाधाराय नम: ।
6.कन्या राशि- ऊँ नमो प्रीं पीताम्बराय नम: ।
7.तुला राशि- ऊँ तत्वनिरंजनाय तारकमाराय नम: ।
8. वृश्चिक राशि-ऊँ नारायणाय सुरसिंहाय नम: ।
9.धनु राशि- ऊँ श्रीं देवकृष्णाय ऊध़्र्वषंताय नम: ।
10. मकर राशि- ऊँ श्रीं वत्यलाय नम: ।
11.कुम्भ राशि- ऊँ श्रीं उपेप्द्राय अच्युताय नम: ।
12. मीन राशि- ऊँ क्लीं उद्धृताय उद्धारिणे नम: ।
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