शहर बम्बई
एक सपनों का शहर
है बम्बई ,
हर कुछ भागता भगाता
है बम्बई।
सारा देश जब सोता है,
तब जागती
है बम्बई।
फुरसत कहां किसी को
चैन लेने की
भागता जो शहर
है बम्बई।
आंख खुली
पर डब्बा गायब,
कराती
है बम्बई।
जूहू , चौपाटी और बांद्रा
भरती है सब मन में तन्द्रा
बडे़ –बड़े भवनों की डंका
देती
है मुम्बई।
सागर की तरंगे जब आती
गेटवे आफ इंडिया
हिन्दुस्तानियों को याद
कराती
ईधर से ही आया विदेशी भैया
वहीं बगल में खड़ा ताज
बता रहा
है बम्बई।
बोरीविलि,कांदिविली
और वही जोगेश्वरी
वीटी,सीटी और चर्चगेट
दौड़ाती
है बम्बई।
बॉलीबुड, हॉलीबुड और
उसकी कहानी
नीचे उपर, उपर नीचे
कराती है बम्बई।
अंडरवर्ल्ड और सटटेवाजों
सूटरों ओर दलालों
को
दिखाता है बम्बई।
धन कुबेर,यम कुबेर
खेल कुबेर व िफल्म कुबेर
से मिलबाता
है बम्बई।
तुम्हारी तह में ना जा पाया
यही तो है तुम्हारी माया
तुम्हारी जिस पर पड़ती छाया
बदल देती है उसकी काया
है मुम्बई।
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