Thursday, June 9, 2016

त्तंत्र मंत्र यंत्र-11

विद्या प्रप्ति के मंत्र और यंत्रगणेश भगवान एवं विद्या दात्री माँ सरस्वती का एक चित्र लें। पूजन सामग्री सम्मुख रखें (गाय के घी का दीपक, धूप, कपूर, पीले चावल, सफेद या पीला मिष्ठान्न, गंगा जल, भोज पत्र, गोरोचन, कुंकुम, केसर, लाल चंदन, अनार या तुलसी की कलम इत्यादि)। सर्वप्रथम गुरु का ध्यान करें। तत्पश्चात गोरोचन, केसर, कुंकुम और लाल चंदन को गंगा जल में घिसकर स्याही बना लें और भोज पत्र पर निम्न मंत्र लिखकर, माँ सरस्वती के चित्र के साथ रखकर एक माला रोज मंत्र का जाप करें। 
गणेश ध्यान : ॐ वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभः। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा। 
गणेश मंत्र : ॐ वक्रतुंडाय हूं॥ 

सरस्वती गायत्री मंत्र : ॐ वागदैव्यै च विद्महे कामराजाय धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्‌। प्रथम दिन 5 माला का जाप करने से साक्षात माँ सरस्वती प्रसन्न हो जाती हैं तथा साधक को ज्ञान-विद्या का लाभ प्राप्त होना शुरू हो जाता है। नित्य कर्म करने पर साधक ज्ञान-विद्या प्राप्त करने के क्षेत्र में निरंतर बढ़ता जाता है। विधि : इस यंत्र को शुभ मुहूर्त में, चाँदी या कांस्य की थाली में, केसर की स्याही से, अनार की कलम से लिखकर, सविधि पूजन करके माता सरस्वतीजी की आरती करें। यात्रांकित कांस्य थाली में भोजन परोसकर श्री सरस्वत्यै स्वाहा, भूपतये स्वाहा, भुवनपतये स्वाहा, भूतात्मपतये स्वाहा चार ग्रास अर्पण करके स्वयं भोजन करें। याद रहे, यंत्र भोजन परोसने से पहले धोना नहीं चाहिए।इसी प्रकार 14 दिनों तक नित्य करने से यंत्र प्रयोग मस्तिष्क में स्नायु तंत्र को सक्रिय (चैतन्य) करता है और मनन करने की शक्ति बढ़ जाती है। धैर्य, मनोबल, आस्थाकी वृद्धि होती है और मस्तिष्क काम करने के लिए सक्षम हो जाता है। स्मरण शक्ति बढ़ती है। विद्या वृद्धि में प्रगति स्वयं होने लगती है। एकादशाक्षर सरस्वती मंत्र : ॐ ह्रीं ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः।

दुर्गा सप्‍तशति में विद्या प्राप्ति के लिए  मंत्र :-
विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा: स्त्रिय: समस्ता : सकला जगत्सु।त्वयैकया पूरितमम्बयैतत् का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति।।
अथर्ववेद में विद्या प्राप्ति के मंत्र--
यस्‍ते स्‍तन:शशयुर्यो मयोभूर्य: सुम्‍नयु:सुहवो य: सुदत्र:।
येन विश्‍वा पुण्‍यसि वर्याणि सरस्‍वति तमिह धातवे क:।।

अर्थात, हे देवी सरस्‍वती तू प्रार्थना योग्‍य है। तेरा ज्ञानरूपी स्‍तन पुष्टिदाता,सुख देनेवाला,मन को पवित्र करने वाला तथा शांति प्रदान करने वाला है। हमें भी तू वह प्राप्‍त करा।   
 यजुर्वेद में विद्या प्राप्ति के मंत्रयां मेधां देवगणा: पितरश्चोपासते।तथा मामद्य मेधयाग्ने मेधाविनं कुरु स्वाहा।।       अर्थात, हे सर्वज्ञाग्ने परमात्मन् जिस विज्ञानवती यथार्थ धारणावाली बुद्धि को विद्वानों के पितर धारण करते हैं तथा यथार्थ पदार्थ विज्ञान वाले पितर जिस बुद्धि के उपाक्षित होते हैं उस बुद्धि के साथ इसी समय कृपा से मुझको मेधावी करें। इसको आप अनुग्रह और प्रीति से स्वीकार कीजिए जिससे मेरी सारी जड़ता दूर हो।

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