कालो अश्वो वहति सप्तरश्मि: सहस्राक्षो अजरो भूरिरेता: ।
तमारोहन्ति कवयो वियश्चितस्तस्य चक्रा भुवनानि विश्वा ।।
अथर्ववेद :-19/52/1
व्याख्या :- काल सात रस्सियों वाला, हजारों धुरियों को चलाने वाला अजर-अमर है। वह महाबली समयरूपी घोड़े के समान दौड़ रहा है। समस्त उत्पन्न वस्तुएं, पदार्थ, जीव और सारे भुवन अथवा लोक उसके चक्र में चक्रवत घूम रहे रहे हैं। उस घोड़े पर ज्ञानी और क्रान्तदर्र्शी लोग ही सवार हो सकते हैं।
तमारोहन्ति कवयो वियश्चितस्तस्य चक्रा भुवनानि विश्वा ।।
अथर्ववेद :-19/52/1
व्याख्या :- काल सात रस्सियों वाला, हजारों धुरियों को चलाने वाला अजर-अमर है। वह महाबली समयरूपी घोड़े के समान दौड़ रहा है। समस्त उत्पन्न वस्तुएं, पदार्थ, जीव और सारे भुवन अथवा लोक उसके चक्र में चक्रवत घूम रहे रहे हैं। उस घोड़े पर ज्ञानी और क्रान्तदर्र्शी लोग ही सवार हो सकते हैं।
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