Wednesday, December 28, 2016

वेद सार--88

अस्मिन वसु वसवो धारयविन्‍त्‍वन्‍द्र: पूषा वरुणो मित्रो अग्नि:
इममादित्‍या एत विश्‍वे च देवा उत्‍तरस्मिज्‍योतिषि  धारयन्‍तु।।
                                     अथर्ववेद –-1/9/1   
व्‍याख्‍या– धन वैभव की अभिलाषा रखने वाले पुरुष को वसु, इन्‍द्र, पूषा, वरुण, सूर्य, अग्नि आदि सभी देवता धन वैभव से परिपूर्ण करें। आदित्‍यादि सभी देवता भी उसे तेज और अनुग्रह प्रदान करें।

यत्रैषामग्‍ने जनिमानि वेत्‍थ गुहा सतामत्त्रिणां जातवेद:
तांस्‍त्‍वं ब्रह्रमणा वावृधानो जहयेषां शततर्हमग्‍ने।
                                 अथर्ववेद –-1/8/4     
व्‍याख्‍या—हे अग्‍ने ज्ञानसंपन्‍न तू ब्राहमणों के दवरा प्राप्‍त मंत्र बल से वृदिध पाकर असुरों को अनेक प्रकार से नष्‍ट करने वाला हो। गुफाओं मे रहनेवाले इन दुष्‍टों की संतानों को भी तू अच्‍छी तरह जानता है अत: तेरे दवारा उनका भी समूल नाश हो।  

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