अपूर्वेणेषिता वाचास्ता
वदन्ति यथायथम़।
वदन्तीर्यत्र गच्दन्ति
तवाहुर्ब्राह़माणं महत।।
अथर्ववेद— 10/8 /34
व्याख्या—जिस परमात्मा
से पहले कोई नहीं था , एससे प्ररित वाणियां यथार्थ का वर्णन करती हुई जिस तक
पहुंचती हैं वो ही महान ब्रह़म कहलाता है।
अन्ततं विततं पुरुत्रानन्तमन्तवच्चा
समन्ते।
ते नाकपालश्चरति विचिन्वन
विद़वान भूतमुत भव्यमस्य।।
अथर्ववेद-- 10/8/12
व्याख्या—अनेक रूपों मे व्याप्त, अनन्त, सबमें समाया हुआ भूत, भविष्य तथा वर्तमान काल
के सभी संबंधों को जानता हुआ इस जगत को चलाने वाला परमात्मा हैं ।
No comments:
Post a Comment