Friday, May 6, 2016

दस दिक्पाल देवता 2


2.वरुण देव
पश्चिम भाग (दिशा) के देवता वरुण हैं। इनकी द्वादश आदित्यों में भी गणना होती है। वेद के अनुसार यह प्रकृति के नियमों के व्यवस्थापक के रूप में जाते हैं। ऋग्वेद 8। 42। 1 के अनुसार वरुण देव के विधान के कारण ही द्युलोक और पृथ्वी लोक अलग-अलग हैं। वे आदित्य रूप से दिन में तो प्रकाश देते ही हैं। रात में भी चांद और तारों को प्रकाशित कर प्रकाश देते हैं। पृथ्वी और अंतरिक्ष में जितने भी जलरूप हैं सबके स्वामी वरुण देव ही हैं। अथर्ववेद 5। 24। 4 के अनुसार देवताओं ने इन्हें जलेश्वर के पद पर अभिषिक्त किया।

वर्ण:-वरुण देवता का वर्ण स्वर्णिम है।

वाहन:- अग्नि पुराण के अनुसार वरुण देवता का वाहन मकर है।

आयुध:-अग्निपुराण के अनुसार वरुण देवता का प्रधान आयुध पाश है। जिसे नागपाश और विश्वजित भी कहते हैं।  वरुण देव वज्र, गाण्डीव, धनुष और अक्षय तूषीर का भी प्रयोग करते हैं। महाभारत के अनुसार अग्नि देव के कहने पर कुछ समय के लिए गाण्डीव धनुष और अक्षय तूणीर को वरुण देव ने अर्जुन को भेंट किया था जिसे स्वर्गारोहण से पूर्व अर्जुन ने देवताओं को लौटा दिया था।

परिवार:-वरुण देव के पिता कश्यप ऋषि और माता का नाम अदिति है। इनकी बड़ी पत्नी का नाम देवी है। देवी से बल नामक पुत्र और सुरा नामक पुत्री हुई। इनकी दूसरी पत्नी का नाम पर्णाशा है जिसे शतायुध नामक पुत्र पैदा हुआ। तीसरी पत्नी का नाम चर्षणी है जिसमें भृगु ऋषि उत्पन्न हुए।
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3.कुबेर देव
कुबेर देवता उत्तर भाग (दिशा) के स्वामी है। ये नौ निधियों (पद्म, महापद्म, शंख, मकर, कच्छप, मुकुन्द, कुन्द, नील और खर्व के स्वामी हैं) मत्स्य पुराण के अनुसार यक्षों पर अधीश्वर बनने के लिए कुबेर ने नर्मदा और काबेरी तट पर सौ दिव्य वर्षों तक घोर तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर महादेव ने इन्हें यक्षों का अधीश्वर होने का वरदान दे दिया। (मत्स्य पुराण)

वाहन:-इनका वाहन नर है।

आयुध:-कुबेर देव खडग़, त्रिशूल और गदा धारण करते हैं और यक्षों, राक्षसों और गुह्यकों की इनकी विशाल सेना है।

परिवार:-इनकी माता इडविडा और पिता विश्रवा है। इनकी सौतेली मां का नाम कैकसी है। इससे रावण, कुंभकर्ण और विभीषण हुए। कुबेर की पत्नी का नाम भद्रा है। नलकूबर और मणिग्रीव नामक इनके दो पुत्र हैं। कैलास पर स्थित अलकापुरी इनकी राजधानी है।

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