Monday, May 23, 2016

दस दिक्‍पाल देवता-7

                                                                    10-भगवान शिव
ईशान कोण के स्वामी हैं देवाधिदेव महादेव। इनकी उपासना न केबल देवता ही करते हैं बल्कि ऋषि-मुनि,ज्ञानी,ध्यानी,योगी,सिद्ध,महात्मा,असुर,विद्याधर,नाग,किन्नर,चारण,मनुष्य आदि भी भगवान शिव के ध्यान में निरंतर लगे रहते हैं। शिव चूंकि उद्दातदाता हैं इसलिए वह सभी की इच्छाओं की पूर्ति करते हैं।

शिव परिवार:- शिव का परिवार बहुत बड़ा है। वहां सभी द्वैतों का अंत दिखता है। एकादश रूद्र,रूद्राणियां,चौंसठ योगिनियां,मातृकाएं तथा भैरवादि इनके सहचर तथा सहचरी हैं। अनेक रूद्र गण जिनके अध्यक्ष वीरभद्र हैं,इनके साथ रहते हैं। माता पार्वती,पुत्र गणपति , उनकी पत्नी सिद्धि,बुद्धि तथा क्षेम और लाभ दो पुत्र हैं। उनका वाहन मूषक है। भगवती पार्वती का वाहन सिंह है। वाण,रावण,चन्डी,रिटि तथा भृंगी आदि उनके मुख्य पार्षदों हैं। इनके द्वार रक्षक के रूप में कीर्तिमुख प्रसिद्ध हैं। उनकी पूजा के बाद ही मंदिर आदि में प्रवेश तथा भगवान शिव की पूजा करने का विधान है। इससे भगवान शिव अति प्रसन्न होते हैं।

शिव का निवास स्थान:- शिव पुराण के अनुसार यों तो शिव सवैत्र व्याप्त हैं लेकिन काशी और कैलास इनके दो महत्वपूर्ण निवास स्थान कहे गये हैंं।

वाहन:- स्कन्द पुराण के अनुसार भगवान धर्म जो नंदी के नाम से वृषभ रूप में अवतरित हुए भगवान शिव का अत्यंत प्रिय वाहन है।

आयुध:- त्रिशूल और पिनाक इनके दो प्रमुख आयुध हैं।

शिव के स्वरूप और उपासना:- शास्त्रों में इनका स्वरूप अनंत बताया गया है। इनकी उपासना निर्गुण,सगुण,लिंगविग्रह आदि के रूप में होती है।

ध्यान मंत्र:- ध्यायेनित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारुचन्द्रावतंसं
रत्नाकल्पोज्ज्वलाडं़्ग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्।
पद्यासीनं समन्तात् स्तुतममरगणैव्र्याघ्रकृतिं वसानं
विश्वाद्यं विश्वबीजं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्।।

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