शिवरूपम्
जगतस्वरूपम्
तेज निरूपम
है अनुपम
पुलकित चरणम््
शिवरूपम्।
कामोद्दीपक
मदहोश्वरूपम्
चंचल चित्तम्
साक्ष्य सूत्रम्
शिवरूपम्।
सर्वश्रेष्ठम्
श्रृष्टिचक्रम
विछोह दुरूपम
पश्चाताप करनम्
दृढ़ प्रतिज्ञम्
शिवरूपम्।
मातृ उत्पन्नम
मातृ शरनम्
दाम्पत्य जीवनम्
हो अखण्डम्
दुआ है सर्वम
शिवरूपम्।
कुलानन्दन
गौरी शंकरम्
रंभा भय मर्दनम्
उमा शंकरम्
है अति सौम्यम्
शिवरूपम्।
हेम सूतम
अनुजोदुतम
हंसमुखम्
निश्छल अन्तरण
है पूर्ण रूपम्
शिवरूपम्।।
जगतस्वरूपम्
तेज निरूपम
है अनुपम
पुलकित चरणम््
शिवरूपम्।
कामोद्दीपक
मदहोश्वरूपम्
चंचल चित्तम्
साक्ष्य सूत्रम्
शिवरूपम्।
सर्वश्रेष्ठम्
श्रृष्टिचक्रम
विछोह दुरूपम
पश्चाताप करनम्
दृढ़ प्रतिज्ञम्
शिवरूपम्।
मातृ उत्पन्नम
मातृ शरनम्
दाम्पत्य जीवनम्
हो अखण्डम्
दुआ है सर्वम
शिवरूपम्।
कुलानन्दन
गौरी शंकरम्
रंभा भय मर्दनम्
उमा शंकरम्
है अति सौम्यम्
शिवरूपम्।
हेम सूतम
अनुजोदुतम
हंसमुखम्
निश्छल अन्तरण
है पूर्ण रूपम्
शिवरूपम्।।
No comments:
Post a Comment