विश्वानि देव सवितर्दुरित्तानि परा सुव। परा दुष्वप्न्यं सुव।।
शुक्ल यजुर्वेद :-30/3
भावार्थ :-
विश्वानि - सविता
देव - देवता
सवितर्दुरित्तानि - समस्त पापों व तापों को
परा - दूर
सुव - करें
दुष्वप्न्यं - कल्याणकारी संतति व संपत्ति को
व्याख्या :- हे सविता देव आप हमारे समस्त पापों व तापों को दूर करें। कल्याणकारी संतति, गौ आदि पशु तथा अतिथि सत्कार परायण गृहादि जैसी संपत्ति को हमारी ओर उन्मुख करें।
शुक्ल यजुर्वेद :-30/3
भावार्थ :-
विश्वानि - सविता
देव - देवता
सवितर्दुरित्तानि - समस्त पापों व तापों को
परा - दूर
सुव - करें
दुष्वप्न्यं - कल्याणकारी संतति व संपत्ति को
व्याख्या :- हे सविता देव आप हमारे समस्त पापों व तापों को दूर करें। कल्याणकारी संतति, गौ आदि पशु तथा अतिथि सत्कार परायण गृहादि जैसी संपत्ति को हमारी ओर उन्मुख करें।
No comments:
Post a Comment