Monday, March 14, 2016

जाने नवग्रह को

पाठकों की अभिरूचि व लगातार मेल व फोन के कारण हमें अपनें सुधि पाठकों के लिए ब्लाग पर नवग्रह मंडल के देवताओं का परिचय, उनके कार्य, उन्हें प्रसन्न करने
व उनकी वक्रदिष्टि से मुक्ति के संदर्भित उपाय बतानें पर मजबूर होना पड़ा। मैं पाठकों के मन की जिज्ञासा को शांत करने और धर्म, अध्यात्म के बारे में अधिक से अधिक जानकारी देने की चेष्टा करूंगा ताकि उनका आपार स्नेह और सहयोग मुझे मिलता रहे।
ग्रहों की पूजा से इस लोक में भी कामनाओं की प्राप्ति होती है। साथ ही कालांतर में स्वर्ग की प्राप्ति होती है। यदि किसी को कोई ग्रह पीड़ा पहुंचा रहा हो उस ग्रह की विशेष विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाय। यदि किसी दुर्दृष्टवश कोई व्यक्ति क्लेशग्रस्त हो रहा है तो ग्रहशांति कवच बनाकर उसका निवारण कर सकता है। मत्स्य पुराण के अनुसार नवग्रह यज्ञ से शांति और पुष्टि दोनों की प्राप्ति होती है।

जाने नवग्रह मंडल को-- 
नवग्रह मंडल में कुल नौ मुख्य ग्रह हैं। सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहू और केतु ।

इन ग्रहों के अधिदेवता हैं--
 सूर्य के शिव, चंद्रमा का पार्वती, मंगल का स्कन्द, बुध का विष्णु, बृहस्पति का ब्रह्मा, शुक्र का इन्द्र, शनि का यम, राहू का काल, केतु का चित्रगुप्त ।

इन ग्रहों के प्रत्यधिदेवता हैं--
 सूर्य का अग्नि, चंद्रमा का जल, मंगल का पृथ्वी, बुध का विष्णु, बृहस्पति का इन्द्र, शुक्र का इन्द्राणी, शनि का प्रजापति, राहू का सर्प, केतु का ब्रह्मा प्रजापति।

नवग्रह कवच स्तोत्र--:
ॐ ह्रां ह्रीं सः मे शिरः पातु श्री सूर्य ग्रह पति : |
ॐ घौं सौं औं में मुखं पातु श्री चन्द्रो ग्रह राजकः |
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रां सः करो पातु ग्रह सेनापतिः कुज: |
पायादंशं ॐ ह्रौं ह्रौं ह्रां सः पादौ ज्ञो नृपबालक: |
ॐ औं औं औं सः कटिं पातु पायादमरपूजित: |
ॐ ह्रौं ह्रीं सः दैत्य पूज्यो हृदयं परिरक्षतु |
ॐ शौं शौं सः पातु नाभिं मे ग्रह प्रेष्य: शनैश्चर: |
ॐ छौं छां छौं सः कंठ देशम श्री राहुर्देवमर्दकः |
ॐ फौं फां फौं सः शिखी पातु सर्वांगमभीतोऽवतु |
ग्रहाश्चैते भोग देहा नित्यास्तु स्फुटित ग्रहाः |
एतदशांश संभूताः पान्तु नित्यं तु दुर्जनात् |
अक्षयं कवचं पुण्यं सुर्यादी गृह दैवतं |
पठेद् वा पाठयेद् वापी धारयेद् यो जनः शुचिः |
सा सिद्धिं प्राप्नुयादिष्टां दुर्लभां त्रिदशस्तुयाम् |
तव स्नेह वशादुक्तं जगन्मंगल कारकम् गृह
यंत्रान्वितं कृत्वाभिष्टमक्षयमाप्नुयात् |

इन नवग्रहों की पूजा कैसे की जाय इनके लक्षण क्या है। आदि पर विशेष जानकारी नवग्रह देवता श्रृंखला 1 से 9 तक में प्रस्तुत करूंगा। इस श्रृंखला के तहत दी जा रही जानकारी कैसे लगी। इस पर मेल या कॉमेंट अवश्य भेजें। 

2 comments:

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  2. Is "Sah" missing in the second line of navagraha kavach stotra? Because all graha mantra end with "Sah", but here in the second line it is "Om Ghoum Soum Oum".

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